स्त्रियों को अपना अस्तित्व , अपनी आज़ादी , अपना स्वाभिमान खुद तय करना होगा । स्त्री अभी भी पुरुष के बिना पतवार की नाव समझी जाती है । यह देवी रूप आदि भी बेमतलब का दिखावा है । यत्र नार्यस्तु…
स्त्री नख से शिख तक सुन्दर होती है, पुरुष नहीं। पुरुष का सौंदर्य उसके चेहरे पर तब उभरता है जब वह अपने साहस के बल पर विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूल कर लेता है।
बिना स्त्री के, बिना स्त्री देह के किसी दुनिया की कल्पना कम से कम मैं तो नहीं कर सकता। समेत अपनी देह के स्त्री, दुनिया के इस बागीचे का सब से खूबसूरत और सुगंधित पुष्प है।