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सूरदास

सूरदास सदैव भावुक कर देते हैं, आश्चर्य में डाल देते हैं।

सूरदास जन्मांध थे। समाज में अंधे सबसे निरीह प्राणी समझे जाते हैं। पर वह अंधा जानता था कि "कौन है जो अंधों को भी भवसागर के पार उतारता है।"

संत कबीर पर कनक तिवारी का विशेष लेख

कबीर से बेहतर सेक्युलरवाद की परिकल्पना संविधान में भी नहीं है। संविधान तो सेक्युलरवाद के नाम पर अलग अलग कोष्ठकों में धर्मगति को नियंत्रित करता है। कबीर मुफलिस थे अर्थात आत्मा के निद्र्वन्द्व…