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सीता

परित्यक्तों की पृथ्वी

कृष्ण की कथा इसमें सबसे रुचिकर है। कृष्ण से बड़ा निस्संग कौन हुआ? रण में, वन में, भवन में, भुवन में, प्रणय में, कलह में- वे एकाकी ही हैं, ठीक वैसे, जैसे कोई विराट-रूप सर्वथा असंग होता है।

सारा जगत् ही सीता राम मय क्यो हो गया है ?

सनातन धर्म सही अर्थों में एकेश्वरवादी धर्म है । सारा जगत् ही सीता राम मय है । हमारा राम सातवें आसमान में नहीं बैठता वह तो रोम रोम में रमनेवाला राम है । उसकी मूर्ति से अधिक फलप्रद तो उसका नाम…

आदिपुरुष फ़िल्म के निर्माताओं ने कुछ अलग हट कर दिखाने की मूर्खता क्यो की ?

धर्मिक कथाएं किसी फिल्मी कहानीकार की गढ़ी हुई कहानी नहीं हैं कि विलेन का मतलब गब्बर और हीरो का मतलब पियक्कड़ बीरू हो।

सनातन देवियों में माता सीता सर्वाधिक लोकप्रिय क्यो हैं ?

माता सीता से अधिक मर्यादित पुत्री की कल्पना कर सकते हैं आप? क्या उनसे अधिक समर्पित बहु की कल्पना कर सकते हैं आप? नहीं! अपने परिवार की प्रतिष्ठा के लिए जीवन भर संघर्षों से जूझती रहीं माता…

भगवान राम का एक परिचय

भगवान राम का चरित्र ईश्वर के लिए भी अनुकरणीय है। कृष्णावतार में बचपन से कृष्ण को अवतारी होने का भान रहता है, परंतु रामावतार में भगवान ने जो भी किया एक सामान्य मानव द्वारा जो किया जा सकने…

यहां तो स्त्री कंधा से कंधा मिला कर चलती मिलती है

सीता न होतीं तो क्या रामायण की कथा ऐसी ही होती ? या कि द्रौपदी नहीं होतीं तो क्या महाभारत का प्रस्थान बिंदु और उस का आख्यान यही और ऐसे ही होता भला ? सुमित्रा नंदन पंत लिख ही गए हैं ;…

रावण की स्त्रियों के बारे क्या सोच थी वह रावण की ही थी तुलसी की नहीं

नारियाँ स्वतंत्र होकर बिगड़ जाती हैं । यद्यपि यह बात तुलसीदास ने चार सौ वर्ष पहले कही थी जब युग ही दूसरा था लेकिन आज भी जिस तरह स्त्रियाँ कभी सूटकेस में कभी तंदूर में कभी प्लास्टिक बैग में…

रावण की स्त्रियों के बारे क्या सोच थी वह रावण की ही थी तुलसी की नहीं

महाभारत में कितनी बार नारी के लिए अपमान जनक शब्दों का प्रयोग हुआ है पर कोई इसके लिए महाभारत के रचयिता वेदव्यास को दोषी नहीं ठहराता । मर्चेंट ऑफ़ वेनिस के यहूदी पात्र शाइलॉक का इतना चरित्र…

कुतर्की और नफरत के शिलालेख लिखने वाले जहरीले लोगों के विमर्श में फंसने से क्यों बचना…

स्त्री पुरुष दोनों को बराबरी में बिठाते मिलते हैं तुलसीदास रामचरित मानस में। आप को पूछना ही चाहिए , पूछते ही हैं लोग फिर ढोल, गंवार, शुद्र, पशु , नारी । सकल ताड़ना के अधिकारी॥ लिखने की ज़रूरत…

कुतर्की और नफरत के शिलालेख लिखने वाले जहरीले लोगों के विमर्श में फंसने से कृपया बचें

रामचरित मानस हिंदी में नहीं अवधी में लिखी है। अवधी जुबान है रामचरित मानस की। और कि किसी भी अवधी वाले से , अवधी जानने वाले से पूछ लीजिए कि अवधी में ताड़न शब्द का अर्थ क्या है ? वह फौरन बताएगा…