Editorial कुछ लोग साहित्य में भी आरक्षण की ही तलब रखते हैं positive india Dec 10, 2020 0 जो लोग साहित्य में भी आरक्षण की ही तलब रखते हैं, उन से कोई विमर्श करना दीवार में सिर मारना होता है । पिछड़ों , दलितों के साहित्य में भी आरक्षण की तलब भी गज़ब है ।