Books कातर दृष्टि ताक रही है असह्य वेदना झाँक रही है positive india Aug 1, 2020 0 कातर दृष्टि ताक रही है, असह्य वेदना झाँक रही है। कुर्बानी का अर्थ न जाना, अहंकार को व्यर्थ न माना।