आचार्य विद्यासागरजी अध्यात्म के साथ ही साहित्य में भी समाभ्यस्त थे।
"मूकमाटी" कृति आचार्य विद्यासागरजी के अंतर्जगत में प्रवेश की कुंजी है!
आचार्य विद्यासागरजी ने सल्लेखना की रीति से अन्न-जल का त्याग कर महासमाधि ली थी। उससे पूर्व आचार्य-पद और वाणी का भी…