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लोकतंत्र

कहां गया ईवीएम आंदोलन? कहां गया टूटता लोकतंत्र?

क्या बोलते हो, क्या चाहते हो, कैसी राजनीति करते हो सारा संदेश पल भर में देशभर को पहुंच जाता है। सारे नैरेटिव टूटकर ध्वस्त हो जाते हैं। सारा एजेंडा बेआबरू हो जाता है।

जश्न वालों ये भीड़तंत्र की जीत है और लोकतंत्र की हार

दशकों से मांग वाली कृषि कानून संसद से पास हुआ था। आज भीड़ तंत्र के सामने टूट गया। टूटा कानून नहीं, टूटा है लोकतंत्र। टूटते हुए लोकतंत्र का घिनौना जश्न हुआ आज। मिठाइयों की शक्ल में लोकतंत्र…

ट्विटर पक्षपातपूर्ण मंच: राहुल गांधी

पॉजिटिव इंडिया:दिल्ली; कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपना ट्विटर अकाउंट बंद (लॉक) किये जाने को लेकर शुक्रवार को इस माइक्रोब्लॉगिंग मंच पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि यह…

प्रधानमंत्री ने जम्‍मू कश्‍मीर के सभी निवासियों के लिए आयुष्‍मान भारत पीएम-जेएवाई…

Positive India:Delhi; Dec 26, 2020 प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के सभी निवासियों के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आज आयुष्मान भारत पीएम-जेएवाई-सेहत का शुभारंभ किया।…

मोदी सरकार कुछ ज्यादा ही लोकतांत्रिक है

जब सरकार देशहित मे कुछ बड़े रिफॉर्म्स करती है, जैसे; CAA, GST, 370 हटाना, राफेल डील, कृषि कानून, नयी शिक्षा नीति आदि संसद से पारित अनेक कानून बनाती है और विपक्षी दल व विपरीत विचारधारा के…

अर्नब का संघर्ष व्यवस्था के साथ है ना कि व्यक्ति के साथ।

आप लुच्चा हैं ? हत्यारे हैं ? आतंकवादी हैं ? यह सवाल मुंबई पुलिस से नहीं, अर्नब से है। अर्नब को कानून का सम्मान करते हुए स्वंय को पुलिस के हवाले करना चाहिए था, भले पुलिस ने सम्मन ना किया हो!…

कोरोना कहर के बीच डॉक्टर व पुलिस का प्रशंसनीय योगदान

देश के डाक्टर काफी बधाई के पात्र है, जिन्होने अपने को झोंक दिया है । जब कोरोना से पाजिटिव लोगो की रिपोर्ट निगेटिव आती है, तो सीना फूल जाता है । कुछ मौतो को छोड़ दे तो काफी अच्छे ही समाचार आ…

कर्नाटक के असंतुष्ट विधायकों के मुम्बई में होने की कोई जानकारी नहीं :

Positiveindia: Mumbai (भाषा) भाजपा की महाराष्ट्र ईकाई ने रविवार को दावा किया कि उसे कर्नाटक के कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन के 10 असंतुष्ट विधायकों के मुम्बई में होने की कोई जानकारी नहीं है,…

मरते जन आंदोलन, मरते गांधी- कनक तिवारी की कलम से

भारतीय लोकतंत्र खेत है जिसे सरकारी बदइंतजामी की बाड़ खा रही है। खेत की उपजाऊ ताकत कभी खत्म नहीं होती। बाड़ वह कृत्रिम मेड़ है जिसे कभी न कभी जन सैलाब जरूर बहा देगा।

जिरहनामा- कहां हो, कहां नहीं हो विवेकानन्द?

विवेकानन्द ने कहा था कि धरती पर अगर कोई देश है जो खुद अपने बदले दुनिया के लिए जीने को तरजीह देता है तो केवल भारत है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में दूसरा सबसे बड़ा धर्म इस्लाम भाईचारे का जिस…