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महुआ मोइत्रा

पुश्तैनी महल में ताजा हवा का झोंका-कनक तिवारी

महुआ ने अद्भुत संयम सावधानी और मुक्तिबोध के शब्दों की दृढ़.हनु की विनम्रता चेहरे पर कायम रखी। यह बताने के लिए कि विनम्रता मूल्यों को रचने में ज्यादा नायाब और स्थायी कारगर हथियार होती है।

“तुम तो मधु लिमये हो महुआ!” कनक तिवारी

महुआ मोइत्रा के भाषण में हिन्दुस्तान के अवाम की वेदना की कहानी शब्दों के साथ साथ उनकी आवाज के उतार चढ़ाव, चेहरे पर उग रहे तेवरों के झंझावातों के साथ हिलकोले खा रही थीं।