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मनुवाद

नहीं सामाजिक समता की बात तो महात्मा बुद्ध भी करते थे , कार्ल मार्क्स भी

आरक्षण की खीर खाने के लिए कुतर्क करते रहिए। मौज करते रहिए। नो प्रॉब्लम। लेकिन आरक्षण की बैसाखी ले कर आप सरकारी नौकरी पा सकते हैं। सुविधाएं भी। पर सम्मान कभी नहीं।

संविधान बचाने का कुचक्र करने वाले अचानक मनुवाद की उल्टी क्यों करने लगते हैं?

रोहित वेमुला को जबरिया दलित घोषित कर जय भीम , जय मीम का नैरेटिव सेट करते हैं। तब जब कि अंबेडकर इस्लाम को अभिशाप और वामपंथियों को बंच आफ ब्राह्मण ब्वायज कहते हुए दुत्कारते मिलते हैं। फिर भी…

संविधान खतरे में है का विध्वंसकारी नारा लगाने वाले लोग अचानक मनुवाद की उल्टी क्यों…

रोहित वेमुला को जबरिया दलित घोषित कर जय भीम , जय मीम का नैरेटिव सेट करते हैं। तब जब कि अंबेडकर इस्लाम को अभिशाप और वामपंथियों को बंच आफ ब्राह्मण ब्वायज कहते हुए दुत्कारते मिलते हैं। फिर भी…