आंबेडकर सिर्फ़ ड्राफ्ट कमेटी के चेयरमैन थे । लेकिन राजनीतिक धूर्तता और कमीनेपन ने अम्बेडकर को संविधान निर्माता घोषित कर दिया , जबकि असल निर्माता तो बाबू राजेंद्र प्रसाद ही हैं ।
आज के दौर में आम नागरिकों को अपनी बात रखने से डर लगने लगा है कि कही उसने कुछ बोला तो उस पर किसी पार्टी, धर्म , जाति के समर्थन करने का ठप्पा ना लग जाए। और इसी कारण समाज मे ना जाने कितनी बुरी…
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, तथा अन्य वामपंथी पार्टियों ने उत्तर प्रदेश में दंगे भड़का दिए। उत्तर प्रदेश के छोटे-छोटे शहरों में नमाज पढ़ने के बाद नाबालिक बच्चों के हाथ में…
हरीश साल्वे, "मेरा मानना है कि इसे मंजूरी देना एक गलती थी और इसे नासूर बनने देना उससे भी कहीं अधिक बड़ी गलती थी। कभी-कभी आपको किसी जटिल समस्या को जड़ से खत्म कर देना होता है और सरकार ने यही…
कुदरत की देन या सम्पत्ति का मूल्य या महत्व किसी एकाधिकारवादी की हविश के आधार पर नहीं होना चाहिए। उनका वास्तविक उद्योग हर वक्त समाज के समावेशी उद्यमी चरित्र पर मूल्यांकित होता है। सामाजिक…
अपनी तमाम अच्छाइयों के बावजूद जातिवाद आज भी जहर है। वह भारतीय समाज की जड़ों को खोखला कर रहा है। एक धर्म में चार वर्ण होंगे। उन्हें अज्ञात लोगों ने लिखकर ईश्वर का वचन बना दिया होगा जिन्हें…