हमारे समाज के लेखक का कबीर आख़िर कहां गुम हो गया है ?
तो क्या बहुतायत देशवासी भाजपाई और संघी हो गए हैं ? हो गए हैं तो क्यों हो गए हैं ? इन लेखकों को क्या इस पर विचार नहीं करना चाहिए । जैसा कि हर असहमत को इन के द्वारा भाजपाई , संघी कहने से लगता…