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बॉलीवुड

क्या बॉलीवुड ने मनोज मुंतशिर का आदिपुरुष के माध्यम से शिकार कर लिया ?

बॉलीवुड जिस मेधा का इस्तेमाल पसंद नहीं करता, उसको नष्ट कर देना उसका शगल है। क्योंकि बॉलीवुड इतनी बड़ी मेधा को अपने खिलाफ फलने नहीं दे सकता। सो मनोज मुंतशिर अब ऐसे मुकाम पर हैं कि या तो अपनी…

रिव्यू नहीं विमर्श: द केरला स्टोरी

"द केरला स्टोरी" फिल्म दर्शकों को बस एक किक देता है और ऐसा बेहतरीन किक कि ढाई घंटे में सदियों के संगठन का सरिया और मजहब, दर्शकों को समझ आने लगता है।

भोला का फ्लॉप होना बॉलीवुड का फ्लॉप होना क्यो है ?

भोला के फ्लॉप होने का मतलब नकली और सड़ी हुई मेधा और बालीवुड नेपोटिज्म का फ्लॉप होना भी है। दाऊद नेक्सस का फ्लॉप होना भी है। भोला के फ्लॉप होने का मतलब फिल्म के नाम पर स्टंट दिखाने का…

रंग शब्द हमारा नहीं है फिर हमनें इसे क्यो अपनाया ?

इस्लाम का आगमन जिस प्रकार से भारत में हुआ, फारसी से लिया गया शब्द 'रंग' को उर्दू के माध्यम से सूफियों ने भी भारत में खासकर उत्तर भारत में लोकप्रियता दिलाई।

बॉलीवुड का कुत्ता भी सरवाइव क्यो नहीं कर पा रहा आज?

आज बॉलीवुड का तो कुत्ता भी सरवाइव नहीं कर पा रहा। अर्जुन कपूर की एक फिल्म आई, कुत्ते। जिसके पहले दिन की ही कमाई दूर दूर तक एक करोड़ को भी छू नहीं सकी। अर्जुन कपूर एनडीटीवी पर बैठकर दर्शक से…

शाहरुख खान ने क्यों कहा कि कला को मजहब और सरहद से अलग रखना चाहिए ?

शाहरुख खान की लगातार जो फिल्में आई हैं, उसका नाम देखकर आपको क्या लगता है? बादशाह, माय नेम इज खान, रईस, अब जो फिल्म आई है पठान, किसी मुस्लिम सोशल का एक हिस्सा है तो है। जो व्यक्ति बड़ी…

गुरूकुल महिला महाविद्यालय में अन्तरकक्षीय समूह नृत्य की धूम

पॉजिटिव इंडिया:रायपुर: गुरुकुल महिला महाविद्यालय कालीबाड़ी रायपुर में अंतर कक्षीय समूह नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन महाविद्यालय प्रेक्षागृह में आयोजित है नृत्य प्रतियोगिता में सभी…

गुरुकुल महाविद्यालय में भारत की विभिन्न संस्कृतियों पर नृत्य प्रस्तुति

पॉजिटिव इंडिया: रायपुर; गुरुकुल महिला महाविद्यालय वार्षिकोत्सव के दौरान आज 10/12/2022 को अन्तरकक्षीय एकल और युगल नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया नृत्य प्रतियोगिता में सभी कक्षाओं की…

नेस्तनाबूद नहीं होगा जब तक बॉलीवुड, नवोदय कहां से होगा?

स्टारडम में बादशाहत, दबंगई और परफेक्शनिस्ट जैसा तमगा बंटने के बावजूद भी लोग बॉलीवुड वालों पर थूकते हैं। अरुण गोविल की तरह पूजे नहीं जाते, कम से कम सम्मान तो बचा रहता।

मक्कार क्रिकेट वालों को लोग भगवान से नीचे उतारने को क्यों तैयार नहीं हैं?

अभी भारत छोड़कर दुनिया के चार देशों में हिंदू मारे जा रहे हैं, मूर्तियां तोड़ी जा रही हैं। दुनिया भर में हिंदू इसके लिए आंदोलन कर रहे हैं। और ये क्रिकेटर्स अमेरिका के एंटी नेशनल मूवमेंट…