यह पुरुष प्रधान समाज स्त्रियों के लिए तेज़ाब की नदी है
स्त्रियों को अपना अस्तित्व , अपनी आज़ादी , अपना स्वाभिमान खुद तय करना होगा । स्त्री अभी भी पुरुष के बिना पतवार की नाव समझी जाती है । यह देवी रूप आदि भी बेमतलब का दिखावा है । यत्र नार्यस्तु…