जातियों का निर्माण ब्राह्मणों ने तो बिलकुल नहीं किया । लगभग सारी ही जातियाँ किसी न किसी आर्थिक गतिविधि से जुड़ी हैं उनमें आपस में ऊँच नीच ब्राह्मणों ने नहीं फैलाई ।
एक पंडित ही है जिसे हर कोई गरियाता मिलता है। उस की फीस देने में सारे करम हो जाते हैं। एक दिन की मज़दूरी देना भी भारी लगता है। अगर इतना ही बोझ है यह पंडित तो फेंकिए इसे भाड़ में अपने घरेलू…