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नेहरू

क्या भाजपा का थिंक टैंक पूरी तरह अप्रासंगिक हो चुका है?

भारतीय संविधान की जो छीछालेदर कांग्रेस ने ४२वें संशोधन में की थी उसका असर आज तक संविधान के ऊपर से गया नहीं है मगर फिर भी २०२४ में कांग्रेस ने संविधान बचाने को मुद्दा बना कर भाजपा के सर पर…

क्या होता यदि सुभाष चंद्र बोस भारत में जीवित लौट आते?

Positive India:Rajkamal Goswami: सन ४५ में विश्वयुद्ध समाप्त होने के बाद आज़ाद हिंद फ़ौज के बहुत से सैनिक भारत वापस आ गये । साधारण सैनिकों को तो अंग्रेजों ने कुछ नहीं कहा और वे चुपचाप अपने…

नेहरू कभी भी किसी के सामने नहीं रोते तो क्या कोई और नहीं रो सकता

नेहरू तो नेहरू , इंदिरा गांधी को भी फ़िरोज़ गांधी , नेहरू और फिर संजय गांधी की मृत्यु के बाद भी किसी ने कभी रोते नहीं देखा। संजय गांधी को भी किसी ने कभी रोते नहीं देखा। राजीव गांधी , सोनिया…

नेहरू का इतना विरोध क्यों है ?

नेहरू न होते तो इंदिरा राजीव और राहुल भी न होते । देश को बहुत सारी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता । गुट निरपेक्षता की नीति भी न होती । या तो भारत अमेरिकी गुट में शामिल हो कर इस्राइल बन गया…

सावरकर की समकक्षता में, राजनीतिक फलक पर न गांधी आते हैं न नेहरू

गांधी की सफलता और गांधी का पाखंड, कांग्रेस की गांधी पर निर्भरता और कांग्रेस का पाखंड। इस टुच्चेपन की तुलना सावरकर के गौरवशाली जीवन से करते हुए सावरकर को तुच्छ बना कर पेश करने की राजनीति पर…

बार-बार बुलेट ट्रेन के आगे कोयले का इंजन खड़ा कर देने का क्या तुक ?

नेहरु हमारी विरासत हैं , शान हैं , नरेंद्र मोदी जीता-जगता सच ! शानदार सच। सपने बुरे नहीं होते पर सच भी सुंदर होता है। सपना भी सुंदर , सच भी सुंदर। कभी ऐसे भी देख कर देखिए।

नेहरू ही नहीं , इंदिरा गांधी भी योग प्रेमी थीं जिन्हें धीरेंद्र ब्रह्मचारी योग सिखाते…

सही है कि पंडित नेहरू योग करते थे और कि नेहरू का शीर्षासन उन के समय में भी चर्चित था। लेकिन कांग्रेसियों ने आज जिस तरह प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के योग प्रेम और उन के शीर्षासन का बखान…

नेहरू कभी भी किसी के सामने नहीं रोते तो क्या कोई और नहीं रो सकता

वामपंथी दोस्त तो नरेंद्र मोदी की हर अच्छी बात में भी निगेटिव खोज लेते हैं। हां , जाने क्यों अभी तक न वामपंथी , न कांग्रेस , न कोई और विरोधी नरेंद्र मोदी के रोने में अडानी , अंबानी कनेक्शन…

मजबूरी का नाम महात्मा गांधी

गांधी के सत्य का राम नाम सत्य करते गांधी के असली दुश्मन असल में कांग्रेस में ही बैठे थे। धीरे-धीरे गांधी इतने लाचार हो गए कि एक मुहावरा ही बन गया कि मजबूरी का नाम महात्मा गांधी।