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झूठे बर्तन

संसार में इतने लोग भोजन करते हैं, उनके बरतन कौन मांजता है?

बड़े से बड़ा धन्नासेठ भी अपने जूतों के तस्में स्वयं बाँधता है, कमीज़ के बटन किसी दास से नहीं लगवाता। नृपेन्द्र के केश कोई और काढ़ता हो, वैसी बात नहीं है।