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ज्ञानवापी मस्जिद

नागा साधु सनातन धर्म के रक्षक क्यों हैं ?

औरंगजेब और उसकी मुगल सेना ने 1664 में काशी विश्वनाथ मंदिर पर हमला किया..........जिसका नागा साधुओं ने प्रचंड विरोध किया और मंदिर का बचाव किया..........उन्होंने औरंगजेब और उसकी सेना को बुरी…

ज्ञानवापी मामले को लेकर क्या पूजा स्थल कानून को खत्म करने की आवश्यकता है?

देश में 70 साल के गंदे एकोसिस्टम ने मजहब वालों के मन में बिठा दिया है कि कब्जा हो जाने से मालिकाना हक मिल जाता है।

अगर तुलना करनी ही है आज़म खान की तो औरंगज़ेब से ज़रूर कर सकते हैं

रामपुर की यूनिवर्सिटी आज़म खान के अवैध पैसे से ही बनी। कितने गरीब मुसलमानों की ज़मीन हड़पी है आज़म खान ने । रामपुर में तमाम दलितों का इस्लाम में धर्मांतरण करवाने का अपराधी है आज़म खान। ओवैसी…

इसे पत्रकारिता नहीं दोगलापन कहते हैं

तथाकथित शोधछात्रा की कहानी गढ़ कर आज सुना रहा राजीव रंजन शर्मनाक उदाहरण है इस तथ्य का कि देश में पत्रकारिता के नाम पर केवल प्रधानमंत्री मोदी के विरुद्ध जहर उगलने की सुपारी लेकर घूम रहे…

नाम ज्ञानवापी और मस्जिद ! चौंके नही आप ?

ज्ञानवापी कोई मस्जिद नही बल्कि हिंदू मंदिर पर बना एक कलंक है,बाकी वहां अपने महादेव की ओर मुख करके महादेव की प्रतीक्षा करते बैठे नंदी महाराज सारी सच्चाई स्वयं बता दे रहे हैं।

औरंगज़ेब ने कभी ख़्वाब में भी नहीं सोचा होगा कि ये मस्जिदें वापस ली जाएंगी

मूल काशी विश्वनाथ मंदिर जब ध्वस्त किया गया तब नंदी जो मंदिर के बाहर मंदिर की ओर मुँह करके स्थापित था वह टूटने से बच गया । तब से यह नंदी अनवरत मस्जिद की ओर मुँह करके अपने स्वामी की प्रतीक्षा…

काशी विश्वनाथ की भव्यता देख नौशाद क्यों रो पड़ा?

हमारा धर्म स्थल तोड़कर उस पर गुंबद लगाकर तहजीब का स्टीकर कोई आतताई औरंगजेब आकर चिपका दे, तब वह बहुत खुश रहता है। लेकिन उस गुंबद को हम छुए भी ना और अलग से ही अपने सांस्कृतिक विरासत को भव्य…

अगर हिंदुओं की सत्तर साल की उदारता को आपने कमजोरी न समझा होता तो हिंदू पुनर्जागरण का…

काशी विश्वनाथ मंदिर की भव्यता के सामने ज्ञानवापी मस्जिद की रौनक कम हो जाने के कारण नौशाद आलम बुक्का फाड़ कर क्यों रो रहे हैं ?