हम चाहे जितने रैशनल हों, उस परम्परा के ही हिस्से हैं, जिसमें सदियों से ईश्वर की प्रार्थना की जा रही है। जब हम अपने विपरीत जाकर कोई चीज़ लिखते हैं, तब वह परम्परा हम में से बोलने लगती है।
मुनव्वर राना ने मां के बनाए काजल को अपनी आंख में लगाने के बजाय अपने चेहरे पर पोत कर अपना चेहरा काला कर लिया है। इंसानियत को शर्मशार कर दिया है। धिक्कार है इस मुनव्वर राना पर। वह लोग जो…
जावेद अख्तर जैसे सफ़ेदपोश कठमुल्ले इसी लिए जब-तब आर एस एस के प्रति अपनी घृणा और नफरत का इज़हार करते रहते हैं। यह सब तब है जब कि अब आर एस एस वाले बार-बार इस्लाम के अनुयायियों को भी अपना बंधु…