हाईकोर्ट और हाईकोर्ट के जजों ने ऐसे-ऐसे कारनामे किए हैं कि अगर इन की न्यायिक तानाशाही न हो , सही जांच हो जाए तो अस्सी प्रतिशत जस्टिस लोग जेल में होंगे। सोचिए कि अपने को जब-तब कम्युनिस्ट…
सभी नौकरियों के मरुस्थल में हाई कोर्ट मरुद्यान है। पता ही नहीं चलता कौन वकील कब हाई कोर्ट का जज बना दिया जाएगा। न योग्यता निर्धारण का घोषित मापदंड होता है। न ही बौद्धिक प्रतियोगिता होती है।