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गोदी मीडिया

गोदी मीडिया के बहाने और निशाने

मीडिया का एक ख़ास पॉकेट मोदी का पिट्ठू बन गया है तो इस में अचरज क्या है भला। ब्रिटिश पीरियड से यह परंपरा जैसे भारतीय मीडिया का चलन बन गया है। मीडिया का एक ख़ास पॉकेट तो आज की तारीख में सोनिया…

एनडीटीवी के प्रमोटर ग्रुप से डॉ. प्रणय और राधिका रॉय की विदाई पर अभिरंजन कुमार की…

डॉक्टर रॉय के कमज़ोर विज़न के कारण उनका एनडीटीवी संस्थान भारत के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पहला "गोदी मीडिया" बन गया और अपनी "गोदी पत्रकारिता" को ही आदर्श पत्रकारिता सिद्ध करने के लिए उसने…

आजादी के बाद से ही ‘‘गोदी मीडिया’’ के साथ-साथ ‘‘गोदी इतिहासकार’’ की मौजूदगी भी रही…

समय बीतने के साथ कांग्रेस को परिवारवाद की ऐसी आदत लग़ गयी कि कांग्रेस दिनानुदिन दुबली होती जा रही है फिर भी उसकी चिंता नहीं। देखना है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में राहुल गांधी की कसरत पार्टी को…

क्या रवीश जी गोदी में बैठेंगे या फिर पूंजीवाद की छौंक को खांसकर टाल देंगे?

जिस पूंजीवाद को रवीश लगातार गाली देते रहे। वही पूंजीवाद उनके पैरों के नीचे से जमीन कैसे खींच ली, उन्हें पता तो चल ही गया होगा?

गोदी मीडिया के बहाने और निशाने

तो गोदी मीडिया का तराना गाने वाले पतिव्रता टाइप टिप्पणीबाजों के लिए अंजुम रहबर के दो शेर खर्च करने का मन हो रहा है: इल्जाम आइने पर लगाना फिजूल है सच मान लीजिए चेहरे पर धूल है।