कृषि सुधार के नाम पर ‘एक देश, एक बाजार’ किसानों के जले पर निमक छिड़कने जैसा है.
सरकार आत्मघाती अधिनियम बनाकर किसानों हाथ पैर बांधकर कारपोरेट के सामने परोसने की कोशिश कर रही है ।
कोरोना काल को देखते हुए पहली जरूरत है कि गांव गांव में किसान संगठनों, कृषि विज्ञान केंद्रों, कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विभाग आदि के समन्वित सहयोग से जैविक कीटनाशक, जैविक खाद, परंपरागत…