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किताब

गजेंद्र की लेखनी मानों सोने पर सुहाग

*नये क्षितिज की ओर* किताब कुछ लोगों के जीवन में परिवर्तन लाने की ताक़त रखता है यदि पाठक उसे अपने जीवन संघर्ष से जोड़कर देखे और इस किताब से सकारात्मक ऊर्जा के भाव को पहचान कर उसे अपने जीवन…

लंपट वामियों कामियों सेक्युलरों की नौटंकी में क्यों नहीं फंस रहा बहुसंख्यक?

बहुसंख्यक हिन्दुओं में "ज़हर" पीने की परंपरा तो रही है, लेकिन समाज में जहर भरने की परंपरा का कंही जिक्र नहीं है। हिंदुओं की तो कोई ऐसी "किताब" भी नहीं जंहा से ज़हर लेकर परोसा जा सके।