कृषि सुधार के नाम पर ‘एक देश, एक बाजार’ किसानों के जले पर निमक छिड़कने जैसा है.
सरकार आत्मघाती अधिनियम बनाकर किसानों हाथ पैर बांधकर कारपोरेट के सामने परोसने की कोशिश कर रही है ।
किसान हित का डंका बजा रहे अधिनियमों का असली फायदा तो साधन-संपन्न सशक्त कारपोरेट ही उठा पाएंगे।
सिर्फ कागजी योजनाएं ना बनाएं और ना ही इस तरह के आत्मघाती अधिनियम बनाकर किसानों हाथ पैर बांधकर…