चुनाव और राजनीति बच्चों का खेल नहीं , समझदारों और कमीनों का खेल है । कौन कितना अच्छा लड़ता है , इस से किसी को कोई सरोकार नहीं। सरोकार इस बात से होता है कि कौन विजयी होता है ।
चौकीदार , चोर है जैसे हमले भाषण में प्रायोजित तालियां मिलने का सबब भले बन सकते हैं पर सामान्य जनता को उद्वेलित , उत्तेजित और कनविंस नहीं करते। हिप्पोक्रेटों को जनता सब से पहले हिट करती है।