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क़त्लख़ाना

1 साल में 80 अरब का कत्ल !

Positive India:Sushobhit: क्या चेतना का कोई इतिहास होता है, विशेषकर उसके शोक का, पीड़ा का? पीड़ा की अनुभूति जिस चेतना में दर्ज़ होती है, क्या वह केवल वैयक्तिक होती है? देह के नाश के बाद…

गूँगे जानवर भूख-प्यास, तकलीफ़ के पलों में आँखों से सम्प्रेषित करने का क्यों जतन करते…

हर दिन मनुष्य-जाति का पेट बड़ा होता जा रहा है, उसके लालच की भूख बढ़ती जा रही है, और इसकी भरपाई उन जानवरों से की जा रही है, जो सबसे मासूम थे, सबसे भले, सबसे नेक और इसीलिए- सबसे आसान शिकार!