हमारे समाज के लेखक का कबीर आख़िर कहां गुम हो गया है ?
हमारे लेखकों ने अपने कबीर को सोने के अंडे देने वाली मुर्गी की तरह अपने लालच , स्वार्थ और दंभ में मार डाला है । कबीर को मार कर अपने को नफ़रत और जहर का केंद्र बना लिया है । ज़रुरत अपने कबीर को…