www.positiveindia.net.in
Browsing Tag

ईश्वर

जैसे तब सब राममय था, वैसे अब भी सब राममय है।

"यह कौन सा रूप धारण कर लिया देव? मैंने पुत्र मांगा था, ईश्वर नहीं। मुझे आपको गोद में खिलाना है। आपकी किलकारियों पर मोहित होना है, आपकी चञ्चलता पर मुग्ध होना है। आपको रोते हुए देखना है, आपको…

कितने ईश्वर हैं और कितनी तरह के? और ये सब कहां से आए? किसकी कल्पना से उपजे?

इस्लाम ने भी अपने ईश्वर का कोई चित्र नहीं बनाया। यानी आप जैसी चाहें, कल्पना कर लें। किंतु कल्पना ना ही करें तो बेहतर होगा। क्योंकि कल्पना 'कुफ़्र' है!