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इलस्ट्रेटेड वीकली

हाय ! हम क्यों न हुए खुशवंत !

खुशवंत सिंह ने जो जीवन जिया और जिस तरह जिया, जिस रोमांच, जिस सलीके और पारदर्शिता से जिया उस में दिया बहुत ज़्यादा और लिया बहुत कम। ऐसा जीवन और ऐसा लिखना काश कि सब के नसीब में होता !