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इंडिया न्यूज़

अखिलेश यादव द्वारा उत्तरप्रदेश की जनता को आगाह करने, सावधान करने पर हंगामा है क्यों…

सपाइयों ने 2015 में शाहजहांपुर में एक पत्रकार जगेन्द्र सिंह को जिंदा जला कर मौत के घाट उतार दिया गया था, उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव थे।

वो संगीन सवाल जो आज देश के सीने में सुलग रहे हैं.

गुंडों लफंगों लुटेरों लम्पटों के राजनीतिक गिरोह और माओवादी नक्सली हत्यारों के एनजीओ गैंग्स ने एक नया तमाशा शुरू किया है। देश की संसद में देशहित में पारित होने वाले हर बिल के खिलाफ़, देशहित…

गोदी मीडिया के बहाने और निशाने

तो गोदी मीडिया का तराना गाने वाले पतिव्रता टाइप टिप्पणीबाजों के लिए अंजुम रहबर के दो शेर खर्च करने का मन हो रहा है: इल्जाम आइने पर लगाना फिजूल है सच मान लीजिए चेहरे पर धूल है।

बिहार चुनाव विश्लेषण: न तुम हारे न मैं हारा

चिराग पासवान का बिहार चुनाव में सुपड़ा ही साफ हो गया; जो उनके राजनीतिक भविष्य के लिए अच्छा नहीं था यह उनकी व्यक्तिगत हार है । पर राजनीतिक दृष्टि से उनका जो ध्येय था कि नीतीश कुमार को…

अर्नब का संघर्ष व्यवस्था के साथ है ना कि व्यक्ति के साथ।

आप लुच्चा हैं ? हत्यारे हैं ? आतंकवादी हैं ? यह सवाल मुंबई पुलिस से नहीं, अर्नब से है। अर्नब को कानून का सम्मान करते हुए स्वंय को पुलिस के हवाले करना चाहिए था, भले पुलिस ने सम्मन ना किया हो!…

Breaking: भारत में कोरोना मृत्‍यु दर 22 मार्च के बाद से सबसे कम

पिछले 24 घंटों में 59,105 मरीज ठीक हुए हैं इसके साथ ही देश में कोरोना को मात देने वाले मरीजों की संख्‍या 71 लाख से अधिक (71,37,228) हो गई है। एक दिन में कोरोना से ठीक होने वाले सबसे अधिक…

व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के चलते आलोचनाओ को देशद्रोह कैसे कहा जा सकता है ?

तीन पीढ़ियों से मुख्यमंत्री रहे लोग भी चीन से उम्मीद करने लगे, तो ये देशद्रोह नहीं तो और क्या है? परंतु अफसोस किसी भी एक नेता ने यह नहीं कहा कि देशद्रोह यह होता है ।

ममता देवी के शस्त्रविहीन हाथों की दिखाकर क्या संदेश दे रही है?

दीदी का संदेश यह हे की सता में यह बरकरार रहती है तो यह हिंदू समाज की शक्ति को शस्त्र विहीन बनाए रखने का हर साध्य असाध्य उपक्रम प्रपंच करेगी ।

BARC द्वारा बिगबॉस केबीसी कपिल शर्मा शों की वास्तविक औकात छुपाने का कुचक्र

टीआरपी आंकड़ों ने सलमान और उसके मुंशी कपिल शर्मा की औकात उनके घटिया फूहड़ प्रोग्राम बिग बॉस और कॉमेडी शो की रेटिंग ने फिसड्डी साबित कर दी हे...

लंपट वामियों कामियों सेक्युलरों की नौटंकी में क्यों नहीं फंस रहा बहुसंख्यक?

बहुसंख्यक हिन्दुओं में "ज़हर" पीने की परंपरा तो रही है, लेकिन समाज में जहर भरने की परंपरा का कंही जिक्र नहीं है। हिंदुओं की तो कोई ऐसी "किताब" भी नहीं जंहा से ज़हर लेकर परोसा जा सके।