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अम्मा

अम्मा की अनमोल सखियां

अम्मा और उस की अनमोल सखियां बहुत बंद और सख्त जीवन जीती थीं तब । घूंघट और पाबंदी भरी ज़िंदगी में तब हवा कम घुटन ज़्यादा थी । खपरैल के घरों वाले अंधेरे कमरों में घूंघट काढ़े बैठी यह औरतें , घर के…

अम्मा के नीलकंठ विषपायी होने की अनंत कथा

मुनव्वर राना का यह शेर मेरी ज़िंदगी में भी बेहिसाब घटा है। कि अब क्या कहूं। इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है । बल्कि वह तो गुस्सा ही नहीं…