मुख़्तार अंसारी , बस आत्महत्या मत करना , अपनी फांसी की प्रतीक्षा करना
मुख़्तार अंसारी, तुम्हारे जैसे दुर्दांत अपराधी को जीने का कोई हक़ नहीं। राजनीति ही नहीं समाज में भी तुम्हें रहने का हक़ नहीं है। मनुष्यता के दुश्मन हो तुम और तुम्हारे जैसे लोग।