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हिंदू

जिहाद तो एक आइडियॉलॉजी है इससे कैसे लड़ा जा सकता है?

सामान्य जीवन जीते हुए इस्लाम की अग्नि परीक्षा से गुज़रना बहुत कठिन है । न जाने कब हलाल की जगह हराम खा जायें । अल्लाह के सिवा किसी और के नाम पर अर्पित प्रसाद भी हराम है । अगर हलवाई ने पहली…

हिंदू धर्म के डीएनए में एकता क्यो नहीं है ?

सावरकर समझते थे कि एकत्व क़ायम किए बिना बाहरी शक्तियों से लड़ा नहीं जा सकेगा। यही कारण था कि वे जाति-प्रथा के विरोधी थे, क्योंकि जातिगत विभेद हिंदू-एकता में बड़ी बाधा था। सावरकर एक राष्ट्र, एक…

धीरेन्द्र शास्त्री के बिहार पहुंचते ही जातिवाद का जहर बो कर सत्ता का भोग करने वाले…

बाबा धीरेन्द्र शास्त्री तुरंत समझ गए बिहार में जातिवाद की खेती भले किसी राजनीतिक स्तर पर की जा रही हो, लेकिन इस भीड़ में किसमें सामर्थ्य है तय करने की, कौन किस जाति का है?

हिंदू धर्म की न किसी से प्रतिद्वन्द्विता है न वैर ।

केवल हिंदू धर्म ही है जो बिना किसी भेदभाव के संपूर्ण जड़ चेतन जगत को एक परिवार का अंग मानता है और उसके कल्याण की कामना करता है ।

अगर हिंदुओ ने खुद को मजबूत नहीं बनाया तो उनकी हालत भी सीरिया,यूक्रेन या अफगानिस्तान…

अभी भी समय है...एकत्र होना...एकजुट होना....संगठित होना सीख लीजिये...क्योंकि आसन्न भविष्य आपकी बहुत..बहुत ही बड़ी परीक्षा लेने जा रहा है...जिसे आप समझ नही पा रहें है...बहरहाल आपसे निवेदन है…

इन आतंकियों के शरिया आदि का इलाज सिर्फ और सिर्फ फौजी बूट , टैंक , मिसाइल और बम वर्षक…

दहशतगर्द इस्लामी आतंक के बूते समूची दुनिया को जहन्नुम बनाए हुए हैं। भारत जैसे देश में सेक्यूलर हिप्पोक्रेट इन्हें अकसर कवरिंग फायर देते रहते हैं।

हिन्दू और हिंदुत्व से पहले कांग्रेस ने देश और राष्ट्र का खेल क्यों खेला था?

हिंदू और हिंदुत्व के बीच खाई को बढ़ाकर राजनीति करने का वक्त आ चला है। तमाम वामपंथी, उदारवादी, कांग्रेसी अब इस हिंदुत्व के विरोध में अपना कौन-कौन सा एजेंडा किस प्रकार से विमर्श में उतारेंगे…

फिल्मों द्वारा मुस्लिम को अच्छा और हिन्दू को बुरा प्रोजेक्ट करने का वामपंथी षड्यंत्र

मुस्लिम को अच्छा और हिन्दू को बुरा प्रोजेक्ट करने का ये जो वर्षों से नैरेटिव का खेल इतिहास तथा फिल्मों के माध्यम से वामपंथी खेल रहे हैं ना ये एक सोचे समझे षड्यन्त्र के अंतर्गत कर रहे हैं।

लंपट वामियों कामियों सेक्युलरों की नौटंकी में क्यों नहीं फंस रहा बहुसंख्यक?

बहुसंख्यक हिन्दुओं में "ज़हर" पीने की परंपरा तो रही है, लेकिन समाज में जहर भरने की परंपरा का कंही जिक्र नहीं है। हिंदुओं की तो कोई ऐसी "किताब" भी नहीं जंहा से ज़हर लेकर परोसा जा सके।