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सविधान

देश के संसाधनों की असंवैधानिक लूट : कनक तिवारी

कुदरत की देन या सम्पत्ति का मूल्य या महत्व किसी एकाधिकारवादी की हविश के आधार पर नहीं होना चाहिए। उनका वास्तविक उद्योग हर वक्त समाज के समावेशी उद्यमी चरित्र पर मूल्यांकित होता है। सामाजिक…

विकास और आदिवासी विनाश(1)कनक तिवारी की कलम से

आदिवासियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी भूमियों के स्वामित्व और आधिपत्य को बचाए रखने, उसकी वैधानिक मान्यता चाहने, उसके पारम्परिक दोहन और फिर उसके माध्यम से अपनी संस्कृति, परम्पराओं,…

जिरहनामा- कहां हो, कहां नहीं हो विवेकानन्द?

विवेकानन्द ने कहा था कि धरती पर अगर कोई देश है जो खुद अपने बदले दुनिया के लिए जीने को तरजीह देता है तो केवल भारत है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में दूसरा सबसे बड़ा धर्म इस्लाम भाईचारे का जिस…

क्या राजद्रोह हटेगा?

Positive India: By Kanak Tiwari:राजनेता, मीडिया, विश्वविद्यालय और स्वयंभू प्रबुद्ध वर्ग देशद्रोह, राजद्रोह और राष्ट्रद्रोह शब्दों को गड्डमगड्ड कर रहे हैं। देशद्रोह और राष्ट्रद्रोह शब्द…