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महात्मा गांधी

गांधी के लिए किसान-कनक तिवारी की कलम से

गांधी की बेहद कुरूप मूर्तियां सारे देश में लगी हैं। वे अकेले हैं जो भारत में सभी दफ्तरों और न्यायाधीशों के सर के ऊपर तक टंगे हैं। उनके जन्मदिवस पर पूरी छुट्टी होती है। उनकी पुण्यतिथि पर उसकी…

आओ, सफाई दरोगा ! -कनक तिवारी

महात्मा गांधी तन से कहीं ज़्यादा मन की सफाई के पैरोकार हैं। आज होते तो उन्हें किसानों की आत्महत्या से गहरा सरोकार होता। वे ‘लव जेहाद‘ और ‘घर वापसी‘ जैसे चोचलों का विरोध करते। राजनेताओं के…

तेरा बयान गांधी!-कनक तिवारी की कलम से

गांधी ने तो पाखाना को भी संस्कृति का बैरोमीटर कहा था। आज देश के उद्योगपतियों, राजनयिकों और नौकरशाहों सहित उच्च मध्यवर्ग और होटलों आदि के शौचालयों में इतना अधिक पानी बहाया जाता है। उतना…

यह ऋतुराज का ग्रीष्मकाल-कनक तिवारी की कलम से

जवाहरलाल नेहरू भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु की फांसी से पहले इसलिए खामोश रहे कि कहीं गांधी नाराज़ न हो जाएं। फांसी के एकदम बाद उन्होंने अपनी खामोशी की दलील देते हुए एक वक्तव्य दिया। ‘‘मैं खामोश…