प्रशांत किशोर का बाजारवाद बनाम स्वतंत्रता सेनानियों का लोकतंत्र
इस देश का लोकतंत्र इतनी गर्त मे जाऐगा, ये आजादी के दिवानो ने भी नही सोचा होगा । वहीं मेरे को उन नेताओं से भी शिकायत है जिन्होने अपने फायदे के लिए इस देश को बाजार का हिस्सा बना दिया ।