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इंदिरा गांधी

सावरकर को कभी ऐसे भी जानिए न !

कभी इंदिरा गांधी के मार्फ़त भी सावरकर को जानिए। कभी पता कीजिए कि इंदिरा गांधी ने संसद में सावरकर का चित्र क्यों लगाया ? इंदिरा गांधी ने सावरकर के नाम पर डाक टिकट क्यों जारी किया? इंदिरा गांधी…

सावरकर को कभी ऐसे भी जानिए न !

इंदिरा गांधी ने संसद में सावरकर का चित्र क्यों लगाया ? इंदिरा गांधी ने सावरकर के नाम पर डाक टिकट क्यों जारी किया। इंदिरा गांधी ने 1970 में डाक टिकट जारी करते हुए सावरकर को वीर योद्धा क्यों…

शालीनता अपमान और समर्पण की त्रासदी

योगी की चाल में अपमान की चुभन साफ़ परिलक्षित हो रही है। पर उन की प्रधान मंत्री के प्रति , प्रोटोकॉल के प्रति शालीनता और समर्पण की पदचाप भी उपस्थित है इस फ़ोटो में । फ़ोटो देखने का अपना-अपना…

जब एक ब्रिटिश मिनिस्टर की बीवी को लाइन मारने में उत्तर प्रदेश के चीफ़ सेक्रेट्री की…

एक समय उत्तर प्रदेश में मुख्य सचिव थे रामलाल । मुख्य सचिव मतलब प्रदेश का सब से बड़ा अफ़सर । नारायणदत्त तिवारी मुख्य मंत्री थे और इंदिरा गांधी प्रधान मंत्री । लंदन से एक मिनिस्टर सपत्नीक आए थे…

लेकिन लखीमपुर में यह पप्पू आंसू पोंछने में बाजी जीत कर पास हो गया है

आप कहते रहिए राहुल गांधी को पप्पू। लेकिन लखीमपुर में यह पप्पू मृतकों के परिजनों के आंसू पोंछने में बाजी जीत गया है। कह सकते हैं कि पप्पू पास हो गया है , लखीमपुर के पहले राउंड में।

बंगाल में ममता बनर्जी के लिए चुनावी हवा उलटी और बहुत तेज बह रही है।

ऐसा नजारा आज से 44 साल पहले देखा था। जब आपातकाल हटने के तत्काल बाद हुए चुनाव में संजय गांधी के गैंग के भय से सहमी जनता कुछ बोल नहीं रही थी लेकिन जब चुनाव परिणाम आया था तो इंदिरा गांधी और…

राहुल गांधी के आरोपों की धज्जियां उड़ाती मीडिया पर कांग्रेस के कब्जे की कहानियां

मीडिया की आजादी पर कांग्रेसी कब्जे की कहानी आजादी के तत्काल बाद ही तब से शुरू हो गयी थी जब मजरूह सुल्तानपुरी को नेहरू ने 1949 में दो साल के लिए जेल में इसलिए बंद करा दिया था क्योंकि मजरुह…

43 साल पुराना खूनी राजनीति का वही खेल आज फिर दोहराया जा रहा है

43 साल पहले कांग्रेस ने जरनैल सिंह भिंडरावाले को धार्मिक संत कह कर अपना संरक्षण समर्थन दिया था। आज 43 साल बाद लालकिले पर खालिस्तानी झंडा लहरा कर जिंदाबाद नारा लगाने वाले देशद्रोही गुंडों को…

गोदी मीडिया के बहाने और निशाने

तो गोदी मीडिया का तराना गाने वाले पतिव्रता टाइप टिप्पणीबाजों के लिए अंजुम रहबर के दो शेर खर्च करने का मन हो रहा है: इल्जाम आइने पर लगाना फिजूल है सच मान लीजिए चेहरे पर धूल है।