जानिए कैसे आरक्षण की बैसाखी पर खड़े लोगों ने मलाई चाटने के लिए एकलव्य का फर्जी अंगूठा…
एकलव्य कोई दबा-कुचला निर्धन नहीं था । श्रृंगबेर राज्य का शासक था । लेकिन अंगूठे का छल का व्याकरण रच कर आरक्षण की मलाई चाटनी ज़रुर एक छल है । इस छल और कुप्रचार को समाप्त किया जाना चाहिए ।