सुशांत सिंह राजपूत केस तथा बॉलीवुड का दोहरा मापदंड
कंगना राणावत और नसरुद्दीन क्यों है आमने सामने?
Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
आज मैं बॉलीवुड के दोहरे मापदंड के उपर लिख रहा हूँ । एसएसआर केस में कंगना राणावत के स्टैंड पर नसीरुद्दीन शाह ने पुनः टिप्पणी कर दी । फिर इस अभिनेत्री के तरफ से तगड़ा जवाब मिला । कोरोना महामारी में देश एक तरफ से रूक सा गया है । पर फिल्म इंडस्ट्री में तो हलचल चालू है । मै फिर से इतिहास का रूख करू ।
आज से पांच दशक पूर्व बुधवार को रात आठ बजे लोगों की चहल पहल रूक जाती थी । रेडियों के लोग बहुत दिवाने थे । सीलोन से ठीक आठ बजे भाईयों और बहनो बिनाका गीत माला में आपका स्वागत है । यह मीठी आवाज! यह उदघोषक और कोई नहीं अमीन सयानी जी थे । ऐसा कार्यक्रम जिसने लोगों को दशकों तक बांधे रखा । आखिर तक उत्सुकता रहती थी कि कौन सा गाना प्रथम प्रदान मे है । साल के आखरी मे दिसंबर के अंतिम बुधवार गानों के पायदानों को तय करता था । आज भी अमीन सयानी उम्र दराज हो गये है, पर लोगों का प्यार अभी भी है । वे इस क्षेत्र के मील का पत्थर थे ।
वहीं दूसली ओर जिसे लोगों ने बादशाह बनाया,वो कोई नहीं और नही बल्कि शाहरुख खान हैं, जिसने करीब दो दशक तक राज किया। यह भी यहां रहने पर डर की बात करे, तो दाल में कुछ काला ही लगता है । फिर जब ये संदेह की पुष्टि स्वंय करते है, तो इनके चरित्र पर कोई आश्चर्य नहीं होता । अभी यह खबरें आई कि शाहरुख खान का पाकिस्तान के एक उद्योगपति से व्यवसायिक संबंध है । अभी कुछ दिनों पहले ही सोशल मीडिया में यह फोटो खूब चर्चा मे थी । इस व्यवसायी की फोटो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ भी थी । जिस देश का भारत से छत्तीस का आंकड़ा है, जो हमारे देश में आतंकवादी भेजता है । ऐसे समय में पाकिस्तान का वो व्यवसायी, जिसका वहां के सत्ता के गलियारों में चहल पहल है; तो उससे यह व्यवसायिक संबंध कैसे स्थापित किये जा सकते हैं? यही कारण है कि लोग सोशल मीडिया में इस बारें मे अपनी राय बहुत रख रहे हैं ।
इस साल एक और बेहतरीन कलाकार हमसे बिछड़ गया, वो कोई और नहीं इरफान खान था । स्वाभाविक अभिनय जिसमें कूट कूट कर भरा था, वो इमरान खान ही था । अपने साफगोई के लिए वो जाना जाता था । उसकी असामयिक मृत्यु ने पूरे देश को झकझोर दिया । मात्र चौवन साल की आयु में ही दुनिया छोड़ जाना बॉलीवुड और देश का बहुत बड़ा नुकसान था ।
आज बॉलीवुड भी बंटा हुआ है । एक तरफ खान, करण जौहर और महेश भट्ट दिखाई दे रहे है तो दूसरी ओर अक्षय कुमार, मनोज बाजपेयी, मनोज तिवारी, अनुपम खेर और कंगना राणावत दिख रहे है । इसीलिए सुशांत सिंह राजपूत के केस में भी पूरा बॉलीवुड बंटा नजर आया। यहां तक कि जांच मे भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आते तक, जांच के लिए भी यही रूख अपनाया गया था । कुल मिलाकर अप्रत्यक्ष रूप से विचार धारा की लड़ाई ज्यादा है । टीवी डिबेट मे भी हर समय यही नजर आया ।
हमारे विचार अलग हो सकते है, पर हमारी प्रतिबद्धता देश के साथ होनी चाहिए । वहां अगर संशय पैदा होता है तो उसके खिलाफ बोलने का हक हर भारतीय को है । फिर वो बंदा हिंदू ही क्यो न हो । इतना जरूर है कि लोगों मे जागरूकता पैदा हो गई है । इसीलिए सबक सिखाने के लिए बहिष्कार करने का निर्णय आजकल सोशल मीडिया के माध्यम से ज्यादा होने लगा है। इसीलिए नेता हो या अभिनेता इन्हे विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है ।
लोग अब धर्मनिरपेक्षता के बोझ से आहत हो गये है । नेताओं,अभिनेताओं का बहिष्कार इस जागरूकता की परिचायक है। इसीलिए इनके बिरादरी मे चिंता व्यापत हो गई है । और होनी भी चाहिए । यहां पैसा कमा कर, देश को बदनाम करने की साजिश से लोग तंग आ चुके हैं, इसलिए इतना बड़ा निर्णय लिया गया है । निश्चित ही इस तरह के हालात से नुकसान होने पर, शायद अपने किये हुए कार्यो का पश्चाताप इन अभिनेताओं तथा नेताओं को हो जाएं, एक आम आदमी की यही इच्छा है । आगे आगे देखिए होता है क्या? मै इसे यही खत्म कर रहा हू । बस इतना ही।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ-अभनपूर