Positive India:Rajesh Jain Rahi:
सूर्पनखा वेश धर, छलने को आ गई है,
लखन के हाथों आज, नाक कट जाएगी।
एक न चलेगी और, पोल भी खुलेगी पूरी,
दुष्ट दशानन की भी, शान घट जाएगी।
कट के गिरेगी सेना, खर और दूषण की,
राम जी को देख माया, झट हट जाएगी।
पापियों की करतूत, पंचवटी में न चले,
छँटेगा गुबार और, धूल छँट जाएगी।
(वर्तमान संदर्भ में सूर्पनखा यानि कोरोना)
लेखक:कवि राजेश जैन राही-रायपुर