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देश भर के अपराधियों , आतंकियों के जान-माल की सुरक्षा की गारंटी सुप्रीम कोर्ट तय कर दे

-दयानंद पांडेय की कलम से-

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Positive India:Dayanand Pandey:
ख़बरें बता रही हैं कि अतीक़ अहमद के आतंक में उत्तर प्रदेश , हैदराबाद से लगायत महाराष्ट्र , दिल्ली , बिहार तक के हमारे सेक्यूलर चैम्पियंस कितना तो ख़ुश थे। दूसरी तरफ समूची मौलाना ब्रिगेड राशन-पानी ले कर उतर आई है। संविधान , क़ानून , मनुष्यता सब कुछ ख़तरे में आ गया है। तकलीफ़ यह भी है कि पुलिस सुरक्षा में होने के बावजूद कैसे मार दिया गया अतीक़ अहमद। भाई अशरफ़ समेत। तो क्या उमेश पाल भी पुलिस सुरक्षा में नहीं तो क्या गधों की सुरक्षा में मारा गया था ?

तब तो जनाब लोग इतना नहीं तड़पे थे , न रोए थे। अच्छा राजू पाल की हत्या पर भी आप जनाब लोग ऐसे ही व्याकुल हुए थे क्या ? एक चुनाव जीत लेना ही तो राजू पाल की ग़लती थी। जब कि उमेश पाल की ग़लती अतीक़ के ख़िलाफ़ गवाही देनी थी। लेकिन अतीक़ अहमद तो मासूम और निर्दोष था। है न , जनाब लोग !

अच्छा मान लिया कि महात्मा गांधी ने सुरक्षा नहीं ली थी और मार दिए गए। लेकिन क्या इंदिरा गांधी के पास सुरक्षा नहीं थी ? उन के सुरक्षा कर्मियों ने ही उन को मार दिया। लेकिन राजीव गांधी तो पुलिस सुरक्षा में ही थे। परम शक्तिशाली एस पी जी की सुरक्षा में थे। और मार दिए गए। ऐसे अनेक क़िस्से हैं। लेकिन सेक्यूलर चैम्पियंस ऐसे विलाप में डूबे हुए हैं गोया अतीक़ अहमद पहला व्यक्ति है जो सुरक्षा घेरे में मार दिया गया है।

जैसे कि हालात चुग़ली खा रहे हैं , तय मानिए कि अतीक़ अहमद की पत्नी और गुड्डू मुस्लिम की लाश भी जल्दी ही देखने को मिल सकती है। क्यों कि उत्तर प्रदेश में कोई सेक्यूलर सरकार नहीं है। न ही कोई माफ़िया परस्त सरकार। क़ानून का राज है। अतीक़ अहमद का नहीं। तब संविधान और क़ानून के आईन की जुगाली करने वाली बिचारी इस जमात का क्या होगा ? फिर इन के विलाप का पैमाना कौन और कैसे नापेगा ?

फ़िलहाल तो अतीक़ अहमद सभी समाचारों पर भारी है। जलवा देखिए कि जनाब लोगों ने जनहित याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में दायर कर दी है और न्यायपालिका जो अब अपराधियों को बेल देते-देते बेलपालिका में तब्दील है , अतीक़ अहमद जैसे कुख्यात अपराधी का प्रसंग सुनने को सहर्ष राजी हो गई है। कोई क़ानूनविद मुख़्तसर में ही सही ज़रा समझाए भी तो कि अतीक़ अहमद जैसे कुख्यात अपराधी भी सर्वोच्च अदालत में जनहित का विषय कैसे बन जाते हैं भला !

फिर तो सुप्रीम कोर्ट को उमेश पाल आदि-इत्यादि की हत्या का भी स्वत : संज्ञान ले कर सुन लेना चाहिए। लगे हाथ मुख़्तार अंसारी की सुरक्षा का भी सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान ले लेना चाहिए। आख़िर उस के भाई ने आशंका जताते हुए बता दिया है कि अब अगला नंबर मासूम और निर्दोष मुख़्तार अंसारी का है। गरज यह कि देश भर के अपराधियों , आतंकियों के जान-माल की सुरक्षा की गारंटी सुप्रीम कोर्ट तय कर दे। तय कर दे कि पंजाब में अमृतपाल सिंह जैसे नए भिंडरावाले की भी जान माल की गारंटी सुनिश्चित हो। और कि छोटे-बड़े सारे अपराधी खुल कर देश भर में अपराध करें और पुलिस इन की सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित करे। आख़िर यह भी देश के नागरिक हैं। इन्हें भी अपना रोजगार , व्यवसाय करने का अधिकार है।

साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार है)

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