Positive India:Rajesh Jain Rahi:
इस नए दौर की अब कहानी लिखो,
प्रीत आपस की सिमटी, पुरानी लिखो।
बिक गई भावना, खास थी कामना,
घर के बाहर पड़ी, आपकी साधना।
दूर आखिर हुआ, आपका ये भरम,
साथ देते सभी, सब निभाते धरम।
हक हुआ गौण लगते सभी मौन हैं,
झूठ को न्याय की राजधानी लिखो।
इस नए दौर की अब कहानी लिखो।
अब लुभाती नहीं राम की रीतियाँ,
मंथरा की लगें काम की नीतियाँ।
बेर शबरी के मीठे किनारे हुए,
अब दशानन सभी के सहारे हुए।
अब मधुर गीत गाना कठिन है बहुत,
तुम विकल दूर बैठी जवानी लिखो।
इस नए दौर की अब कहानी लिखो।
जल गई होलिका ये भरम है बड़ा,
मोड़ पर ही मिलेगा दुशासन खड़ा।
हाथ भी अब मिलाना मुनासिब नहीं,
कोई लगता नहीं अब गले से कहीं।
छूट कर जा गिरी पोटली रंग की,
खो गयी है कहाँ जिंदगानी लिखो।
इस नए दौर की अब कहानी लिखो।
लेखक:कवि राजेश जैन ‘राही’, रायपुर