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राजनीति में पति-पत्नी के किस्से

-दयानंद पांडेय की कलम से-

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Positive India:Dayanand Pandey:
राजनीति में पति-पत्नी के किस्से बहुत हैं। आज दो-चार वाकये बताता हूं। सुचेता कृपलानी एक समय उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री थीं। कभी कम्युनिस्ट रही , सुचेता बाद में सोशलिस्ट हुईं फिर कांग्रेसी। लेकिन कभी कांग्रेसी रहे उन के पति आचार्य जे बी कृपलानी तब ख़ुद की बनाई सोशलिस्ट पार्टी में थे । लेकिन मुख्य मंत्री निवास में साथ ही रहते थे । सुबह लान में कुर्सी डाल कर अख़बार पढ़ते मिलते थे। कोई राजनीतिज्ञ मुख्य मंत्री से मिलने जाता तो पहले उन से ही वास्ता पड़ता। सो संकोच में उन के पास जा कर बैठ जाता और कहता , आप से मिलना चाहता था। कृपलानी उसे डपटते हुए कहते , मालूम है किस से मिलने आए , जाओ अंदर मिल लो। यहां मक्खनबाजी मत करो। अगला चुपचाप सरक जाता। महाराष्ट्र में एक मुख्य मंत्री हुए वसंत दादा पाटिल। उन की पत्नी थीं शालिनी ताई पाटिल। दोनों ही कांग्रेस में थे । जाने क्या हुआ कि शालिनी ताई पाटिल ने वसंत दादा पाटिल की सरकार रातो-रात गिरा दी और दूसरे दिन ख़ुद मुख्य मंत्री पद की शपथ ले बैठीं।

धर्मेंद्र भी एक समय 2004-2009 में राजस्थान के बीकानेर से भाजपा के सांसद रहे थे। अब हेमा मालिनी भी दो बार से मथुरा से सांसद हैं। नरगिस राज्यसभा में रहीं जब कि सुनीलदत्त लोकसभा में थे और मंत्री भी रहे । जावेद अख्तर और शबाना आज़मी भी बारी-बारी राज्यसभा में रहे हैं।

बिहार में माफ़िया और हत्यारा पप्पू यादव जो कभी कम्युनिस्ट हुआ करता था , अब यादव हैं और ख़ुद की पार्टी बना रखी है। लेकिन उस की पत्नी रंजन यादव कांग्रेस की सांसद और प्रवक्ता दोनों ही हैं। इस बार भी कांग्रेस के टिकट पर उम्मीदवार हैं। लालू यादव पति-पत्नी की राजनीतिक कहानी भी किसी से छुपी नहीं है। लेकिन राबड़ी को चर्चा में लाने वाले उन के दोनों भाई इन दिनों जाने कहां लापता हो गए हैं।

साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार है)

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