Positive India: Rajkamal Goswami:
गाँधी जयंती पर बापू की जो छीछालेदर सोशल मीडिया पर हो रही है वह देखी नहीं जाती । और जो लोग यह सब गुणगान कर रहे हैं उनके चहेते नेता गाँधी की १५० वीं जयंती पर आयोजित समारोहों में प्रतिभाग कर रहे हैं । गाँधी का यशोगान कर रहे हैं ।
सिपाहियों को बचपन से “लेफ्ट राइट लेफ्ट और बढ़े चलो बढ़े चलो कदम कहीं रुकें नहीं “ की ट्रेनिंग दी गई है तो मंजिल पर पहुँचने के बाद भी परेड अब हाल्ट का आदेश सुनने को तैयार ही नहीं हैं ।
अरे सिपाहियों अब राष्ट्रपति तुम्हारा प्रधानमंत्री तुम्हारा केन्द्र तुम्हारा राज्य तुम्हारे अब तो थम जाओ । अब अगर नहीं थमे तो यह गाँधी पलटवार करेगा । अंग्रेज उखड़ गये तो तुम कहाँ टिक पाओगे ।
सन सत्तासी में पहला ५००₹ का नोट ज़ारी हुआ था जिस पर गाँधी जी का चित्र छपा था । और सन ९६ से रिज़र्व बैंक ने अशोक की लाट हटा कर गाँधी सीरीज़ के नोट नियमित रूप से छापने शुरू कर दिये । तब से कितनी सरकारें बदल चुकीं लेकिन गाँधी अपनी जगह जमे हैं । नोटबंदी भी हो गई मगर गाँधी अपनी जगह डटे रहे । गाँधी का डटे रहना ही गाँधी की ताकत है ।
सिपाही कहते हैं कि भगत सिंह , आज़ाद, बोस जैसे हज़ारों क्रांतिकारियों ने मिल कर देश को आज़ाद कराया मगर सारा श्रेय गाँधी जी को दिया जा रहा है , देशवासियों को गाँधी के अलावा कुछ पढ़ाया ही नहीं जाता । अब इनसे कोई पूछे अगर नहीं पढ़ाया जाता तो ये सिपाही क्या इनके बारे में ऑक्सफोर्ड से पढ़ कर आये हैं । सन ६५ में ही मनोज कुमार की फिल्म शहीद रिलीज़ हुई थी जो ब्लैक ऐंड व्हाइट थी और भगतसिंह के जीवन पर थी । फिल्म सुपरहिट हुई और मनोज कुमार ने अपने हिस्से की कमाई भगतसिंह की माँ को भेंट कर दी जो उस समय जीवित थीं ।
स्वतंत्रता की पचीसवीं वर्षगाँठ पर इंदिरा जी ने हर ब्लॉक पर शिलालेख लगवाये थे जिस पर उस क्षेत्र के रहने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम उत्कीर्ण थे । उनके नाम के ताम्रपत्र बाँटे , उनको पेशन देने की व्यवस्था की , उनके आश्रितों को सरकारी सेवाओं में आरक्षण दिया । और इनमें सिर्फ काँग्रेसी ही हो ऐसा नहीं था । क्रांतिकारी भी थे और तो और जो किसी भी कारण से जेल गये थे उन्हें भी यह सोच कर शामिल कर लिया गया कि अंग्रेजों नें झूठे आरोप में जेल भेज दिया गया होगा । और कितना क्रेडिट चाहिये ?
अब तो सिपाहियों की सरकार है तो घर घर में गाँधी को क्यों लोकप्रिय बनाये हुये हैं । भगतसिंह या सुभाष का चित्र क्यों नोटों पर नहीं छापते । गाँधी की मूर्तियाँ कभी लेनिन की मूर्तियों की तरह गिराई जायेंगी का जाप करने वाले क्यों ख़ामोश हैं ? झूठा इतिहास पढ़ाने का आरोप लगाने वाले अब सच्चा इतिहास क्यों नहीं पढ़ाते ?
अब यह गाँधी के प्रति नफरत फैलाना बंद करो । देश की आज़ादी में गाँधी के योगदान को जाने दो तो भी सामाजिक सुधार, अस्पृश्यता उन्मूलन, स्वदेशी , खादी और ग्रामोद्योग जैसे अनेक क्षेत्र हैं जहाँ से गाँधी का नाम तुम खुरच कर भी नहीं मिटा पाओगे ।
गाँधी का नाम तो उसी दिन अमर हो गया जिस दिन उनकी हत्या हुई । तुम कितना भी चरित्र हनन करो अब गाँधी का कुछ नहीं बिगाड़ सकते । गाँधी को महात्मा का ख़िताब टैगोर ने दिया था और राष्ट्रपिता का सुभाष ने । हम तो उन्हें बापू ही कहते रहेंगे ।
हम सबके थे प्यारे बापू ।
चित्र महात्मा गाँधी के चित्र वाला पहला नोट
साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)