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स्टोक्स और ‘बाउंड्री’ के दम पर इंग्लैंड बना विश्व चैंपियन

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Positive India :London; 14 July
(p t i bhasha) इंग्लैंड ने रोमांच की पराकाष्ठा तक पहुंचे विश्व कप फाइनल में रविवार को यहां मैच और सुपर ओवर के ‘टाई’ छूटने के बाद न्यूजीलैंड पर ‘बाउंड्री’ के दम पर पार पाकर पहली बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया।
मैच पहले टाई छूटा और फिर सुपर ओवर में भी दोनों टीमों ने समान रन बनाये। इसके बाद फैसला ‘बाउंड्री’ से किया गया। मेजबान इंग्लैंड अधिक ‘बाउंड्री’ लगायी थी और आखिर में 1975 से चला आ रहा उसका खिताब का इंतजार खत्म हो गया। इंग्लैंड के सामने 242 रन का लक्ष्य था लेकिन उसके चोटी के चार विकेट 86 रन पर गंवा दिये थे। बेन स्टोक्स (98 गेंदों पर नाबाद 84) और जोस बटलर (60 गेंदों पर 59) ने पांचवें विकेट के लिये 110 रन की साझेदारी करके स्थिति संभाली लेकिन इंग्लैंड की टीम 241 रन पर आउट हो गयी।
न्यूजीलैंड ने आठ विकेट पर 241 रन बनाये। उसकी तरफ से हेनरी निकोल्स (77 गेंदों पर 55) और केन विलिमयसन (53 गेंदों पर 30) ने दूसरे विकेट के लिये 74 रन जोड़े। कप्तान विलिमयसन के आउट होते ही टीम लड़खड़ा गयी। उसके बाकी बल्लेबाजों ने भी अच्छी शुरुआत की लेकिन केवल टॉम लैथम (56 गेंदों पर 47) ही 20 रन की संख्या पार कर पाये।
सुपर ओवर में इंग्लैंड की तरफ से स्टोक्स और बटलर क्रीज पर उतरे और उन्होंने ट्रेंट बोल्ट पर एक एक चौके की मदद से 15 रन बनाये। इस तरह से न्यूजीलैंड को जीत के लिये 16 रन का लक्ष्य मिला।
जोफ्रा आर्चर गेंदबाज थे। पहली गेंद वाइड थी, दूसरी गेंद पर दो रन बने और जेम्स नीशाम ने तीसरी गेंद छक्के के लिये भेज दी। अगली दो गेंदों पर दो . दो रन बने। पांचवीं गेंद पर एक रन लेकर नीशाम ने मार्टिन गुप्टिल को एक गेंद पर दो रन बनाने का मौका दिया। गुप्टिल एक रन बनाया और दूसरा रन लेने के प्रयास में रन आउट हो गये। न्यूजीलैंड को लगातार दूसरी बार उप विजेता बनकर संतोष करना पड़ा।
मैच की बात करें तो स्टोक्स की पारी अंतर पैदा कर गयी क्योंकि दोनों टीमों के गेंदबाजों ने अपना जलवा बिखेरा था। इंग्लैंड की तरफ से क्रिस वोक्स ने 37 रन देकर तीन और लियाम प्लंकेट ने 42 रन देकर तीन विकेट लिये। न्यूजीलैंड के लिये नीशाम (43 रन देकर तीन) और लॉकी फर्गुसन (50 रन देकर तीन) सफल गेंदबाज रहे।
न्यूजीलैंड के गेंदबाजों ने हमेशा की तरह शुरुआत में घातक गेंदबाजी की। बोल्ट और मैट हेनरी को खेलना आसान नहीं था। जॉनी बेयरस्टॉ और जैसन राय ने फाइनल से पहले लगातार चार शतकीय साझेदारियां निभायी थी लेकिन आज वे केवल 28 रन जोड़ पाये। हेनरी ने खतरनाक रॉय (17) को खूबसूरत इनस्विंगर पर विकेटकीपर लैथम के हाथों कैच कराया।
बेयरस्टॉ जब 18 रन पर थे तो कोलिन डि ग्रैंडहोम ने अपनी ही गेंद पर उनका कैच छोड़ा। इस तेज गेंदबाज ने हालांकि रूट (30 गेंदों पर सात) को विकेट के पीछे कैच कराया।
फर्गुसन ने बेयरस्टॉ को लंबी पारी नहीं खेलने दी। उनकी गेंद में तेजी के अनुरूप उछाल नहीं थी जो बेयरस्टॉ के बल्ले का किनारा लेकर विकेटों में समा गयी। कप्तान इयोन मोर्गन (नौ) पवेलियन लौटने वाले अगले बल्लेबाज थे। फर्गुसन ने प्वाइंट बाउंड्री पर मोर्गन के अपर कट को आगे डाइव लगाकर खूबसूरती से कैच में बदला। नीशाम को अपनी पहली गेंद पर विकेट मिला।
लेकिन स्टोक्स और बटलर ने दबाव में संयम और आक्रामकता के मिश्रण वाली जिम्मेदारी भरी पारियां खेली। बटलर पहले अर्धशतक पर पहुंचे उन्होंने इसके लिये 53 गेंदें खेली जबकि स्टोक्स ने इसके लिये 81 गेंदों का सामना किया।
ऐसे में फर्गुसन ने मैच को नया मोड़ दिया। ‘सब्सिट्यूट’ टिम साउथी ने उनकी गेंद पर स्वीपर कवर पर बटलर का शानदार कैच लपका जबकि नये बल्लेबाज वोक्स (दो) को उन्होंने विकेट के पीछे कैच कराया।
इंग्लैंड को अंतिम तीन ओवरों में 34 रन चाहिए थे जो 12 गेंदों पर 24 रन पर पहुंच गया। लियाम प्लंकेट (10) आउट हो गये, बोल्ट ने स्टोक्स का कैच ले लिया था लेकिन पांव बाउंड्री से टकरा गया। नीशाम ने जोफ्रा आर्चर को भी पवेलियन भेजा और इस तरह से बोल्ट को आखिरी ओवर में 15 रन बचाने की चुनौती मिली।
ऐेसे मोड़ पर स्टोक्स ने तीसरी गेंद पर छक्का जड़ा। अगली गेंद पर ओवरथ्रो से छह रन बने और आदिल राशिद और मार्क वुड के रन आउट होने के बावजूद मैच सुपर ओवर तक खिंच गया।
इससे पहले टास जीतकर बल्लेबाजी करने उतरे न्यूजीलैंड ने मार्टिन गुप्टिल की एक और नाकामी के बाद बेहद सतर्क बल्लेबाजी की। गुप्टिल ने आर्चर पर अपर कट से छक्का लगाया लेकिन जब वह 19 रन पर थे तब वोक्स ने उन्हें पगबाधा आउट कर दिया। गुप्टिल ने डीआरएस लेकर न्यूजीलैंड का ‘रिव्यू’ भी गंवा दिया। विलियमसन ने 12वीं गेंद पर अपना खाता खोला। इससे वह किसी एक विश्व कप में सर्वाधिक रन (578) बनाने वाले कप्तान भी बने।
लेकिन वह महत्वपूर्ण मोड़ पर आउट हो गये जिससे न्यूजीलैंड की लड़खड़ा गयी। प्लंकेट के बेहतरीन स्पैल से इंग्लैंड ने वापसी की। उनकी गेंद विलियमसन के बल्ले को हल्का स्पर्श करके विकेटकीपर जोस बटलर के दस्तानों में पहुंची थी। अंपायर कुमार धर्मसेना ने अपील ठुकरा दी लेकिन डीआरएस ने फैसला बदल दिया। विलियमसन को पवेलियन लौटना पड़ा।
निकोल्स ने इसके बाद 71 गेंदों पर अपना अर्धशतक पूरा किया लेकिन इसके तुरंत बाद प्लंकेट की गेंद विकेटों पर खेल गये। निकोल्स ने अपनी पारी में चार चौके लगाये।
लगातार विकेट गिरने से रन गति धीमी पड़ गयी। बीच में 92 गेंदों तक कोई ‘बांउड्री’ नहीं लगी। रोस टेलर (31 गेंदों पर 15) क्रीज पर पांव जमा चुके थे लेकिन वुड की पगबाधा की अपील पर अंपायर मारियास इरासमुस की उंगली उठ गयी जबकि गेंद विकेटों के ऊपर से निकल रही थी।
जिम्मी नीशाम (25 गेंदों पर 19) पर्याप्त समय क्रीज पर बिताने के बाद पवेलियन लौटे। उन्होंने प्लंकेट की गेंद पर मिड आन पर खड़े रूट को कैच का अभ्यास कराया। कोलिन डि ग्रैंडहोम ने भी 28 गेंदें खेली लेकिन 16 रन बनाकर डेथ ओवरों में आउट हो गये। वोक्स ने लैथम को भी शतक पूरा नहीं करने दिया। इन दोनों के कैच ‘सब्सिट्यूट’ जेम्स विन्से ने लिये।

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