कुछ मतिमंद और जहरीले विद्वानों को आज पता लगा कि नरेंद्र मोदी इवेंट के मास्टर हैं
-दयानंद पांडेय की कलम से-
Positive India: Dayanand Pandey:
अच्छा तो आज पता चला है कुछ मतिमंद और जहरीले विद्वानों को कि नरेंद्र मोदी इवेंट के मास्टर हैं। ग़ज़ब ! अब से जान लीजिए कि नरेंद्र मोदी सिर्फ इवेंट के ही नहीं , रणनीति के भी मास्टर हैं। धूर्तों के धूर्त , कमीनों के कमीने , दोस्त के दोस्त और दुश्मन के महादुश्मन। असंभव को संभव करने वाले। दुनिया इस का लोहा मानती है। यकीन न हो तो तीन तलाक़ , 370 जैसे कुछ असंभव कृत्य याद कर लीजिए। बिना धूर्तई और कमीनापन के यह मुमकिन नहीं था। बहुत सीधे और सरल थे अटल बिहारी वाजपेयी। महिला आयोग की सदस्य सईदा सईदेन हमीद ने जब तीन तलाक़ खत्म करने के लिए वायस आफ वायसलेस रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी और अटल जी उसे संसद में पेश करने की सोच ही रहे थे कि जामा मस्जिद के शाही इमाम बुखारी ने धमकी दे दी कि अगर यह रिपोर्ट , संसद में पेश हुई , लागू हुई तो देश में आग लगा दी जाएगी।
अटल जी डर गए , बुखारी की इस ब्लैकमेलिंग में। वह रिपोर्ट ठंडे बस्ते में डाल दी। कश्मीर की आग को भी वह कश्मीरियत , जम्हूरियत और इंसानियत से बुझाना चाहते थे। नहीं बुझा पाए। इस लिए कि यह दोनों काम तिहरा तलाक़ और 370 दोनों ही कमीनेपन और धूर्तता के औजार से ही निपटाए जा सकते थे। सरलता , विनम्रता और सादगी से नहीं। सठे साठ्यम समाचरेत की तकनीक की ज़रूरत थी । मोदी ने इसी औज़ार और तकनीक का तागा लिया और इन की ही सुई में धागा डाल कर इन्हें सिल दिया। अब यह बाप-बाप कर रहे हैं और इन से भी ज़्यादा इन के अब्बा और शांति दूत इमरान खान। महबूबा कहती रही , ताल ठोंक कर , पूरी गुंडई से कि कश्मीर में कोई तिरंगा उठाने के लिए भी नहीं मिलेगा। और अब कैमरे पर अपनी शकल दिखाने के लिए भी तरस रही है। ऐसे कानून में जय हिंद हो गई है जिस में दो साल तक कोई सुनवाई ही नहीं है।
यह नोटबंदी और जी एस टी का पहाड़ा नहीं है। कमीनों और धूर्तों के साथ इसी कला का सर्वोत्कृष्ट नमूना है । आप ट्रम्प के मुद्दे पर संसद में मध्यस्थता पर बयान मांगते रहे और वाया राज्यसभा , लोकसभा ला कर 370 को हलाल कर दिया गया। आप राजनीति कर रहे हैं कि प्याऊ चला रहे हैं ? पहले यह तय कर लीजिए। किसी दो कौड़ी के बाबू को ख़रीद कर राफेल फ़ाइल की फोटो कापी करवा कर हिंदू अख़बार में छपवा कर या सी बी आई चीफ़ को बरगला कर वायर के मार्फ़त राजनीति में सनसनी पैदा करने का टोना-टोटका मोदी युग में दीपावली का पटाखा बन चुका है। अमित शाह और मोदी पर हत्या और नरसंहार के फर्जी मामले साबित नहीं हो सके लेकिन आर्थिक अपराध तो चिदंबरम , सोनिया , राहुल और रावर्ट वाड्रा पर साबित हो जाएंगे तब क्या करेंगे। क्यों कि हत्या में गवाह चाहिए और यहां साक्ष्य। गवाह इधर-उधर हो सकते हैं लेकिन आर्थिक अपराध के साक्ष्य नहीं। अटल जी तो एक वोट से सरकार गंवा देने वाले महामना थे। मोदी नहीं।
तब जब कि इस के पहले नरसिंहा राव अल्पमत की सरकार पांच साल चलाने की तजवीज दे गए थे। आप ने उसी महामना अटल की लकीर पर चलने वाली भाजपा समझ लिया मोदी की भाजपा को भी। यही गलती आप ने कर दी और आप के अब्बा इमरान खान ने भी। अभी पी ओ के जैसे कुछ इवेंट भी बस आने ही वाले हैं। ज़रा सब्र कीजिए। जन्म-दिन के इवेंट पर इतना स्यापा गुड बात नहीं है। अभी चचा जाकिर नाइक की आमद बस होने ही वाली है । नीरव मोदी और विजय माल्या के आमद की उल्टी गिनती गिननी शुरू कीजिए। तब तक नर्मदा के तीर पर बैठ कर इवेंट , इवेंट की आइस पाइस खेलिए। काले धन की बैंड बज रही है। अभी कुछ और बारात निकलनी हैं। कुछ और इवेंट प्रतीक्षा में हैं। आप चंद्रयान – 2 और प्रज्ञान की विफलता का , इसरो चीफ के रोने का जश्न मनाइए तब तक। आर्थिक मंदी , जी डी पी का तराना भी है ही आप के पास। गो कि सेक्यूलरिज्म का भुरता बन चुका फिर भी अभी राम मंदिर मसले पर सुप्रीम कोर्ट को कम्यूनल बताने का अवसर बस आप के हाथ आने ही वाला है। तनिक धीरज धरिए। अभी बहुत से गेम , बहुत से इवेंट , बहुत सी धूर्तई , बहुत सारा कमीनापन सामने आने वाला है। बतर्ज लोहा ही लोहा को काटता है। बताइए न कि अपने चिदंबरम पहले ई डी और सी बी आई की कस्टडी से बचने के लिए अग्रिम ज़मानत लेते रहने के अभ्यस्त हो गए थे । अब वही चिदंबरम तिहाड़ में बैठे गुहार लगा रहे हैं कि मुझे ई डी की कस्टडी में दे दीजिए। यह संभव कैसे बना ? अरे वही कमीनापन और वही धूर्तई !
साभार: दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)