www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

एस. एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज के वैज्ञानिकों ने अल्सर पैदा करने वाले गैस्ट्रिक रोगाणु का पता लगाने के लिए नया “ब्रेथप्रिंट” खोजा

Ad 1

Positive India: Delhi;5 October 2020.

Gatiman Ad Inside News Ad

सांस छोड़ना जल्द ही उस बैक्टीरिया का पता लगाने में मदद कर सकता है जो पेट को संक्रमित करते हुए गैस्ट्रेटिस के विभिन्न रूप और अंततः गैस्ट्रिक कैंसर पैदा करता है। वैज्ञानिकों ने सांस में पाया जाने वाला “ब्रेथप्रिंट” नामक एक बायोमार्कर की मदद से उस बैक्टीरिया का शीघ्र पता लगाने का एक तरीका खोज निकाला है, जो पेप्टिक अल्सर का कारण बनता है।
भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान एस. एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज, कोलकाता में डॉ. माणिक प्रधान एवं उनकी शोध टीम ने हाल ही में हेलिकोबैक्टर पाइलोरी का पता लगाने के लिए मानव द्वारा छोड़े गये सांस में अर्ध-भारी पानी (एचडीओ) में इस नए बायोमार्कर को देखा है। इस टीम ने मानव सांस में विभिन्न जल आण्विक प्रजातियों के अध्ययन का उपयोग किया है। इसे मानव द्वारा छोड़े गये सांस में अलग-अलग जल समस्थानिकों का पता लगाने की ‘ब्रीथोमिक्स’ विधि भी कहा जाता है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा समर्थित तथा तकनीकी अनुसंधान केंद्र (टीआरसी) द्वारा वित्त पोषित यह शोध हाल ही में अमेरिकन केमिकल सोसाइटी (एसीएस) के ‘एनालिटिकल केमिस्ट्री’ जर्नल में प्रकाशित हुआ था।
हेलिकोबैक्टर पाइलोरी, एक आम संक्रमण जो जल्दी इलाज नहीं कराये जाने पर गंभीर हो सकता है, का आमतौर पर पारंपरिक एवं दर्दनाक एंडोस्कोपी तथा बायोप्सी परीक्षणों, जोकि प्रारंभिक निदान एवं फॉलोअप के लिए उपयुक्त नहीं हैं, द्वारा पता लगाया जाता है।
हमारा गैस्ट्रोइन्स्टेस्टाईनल (जीआई) ट्रैक शरीर में पानी के उपापचय (मेटाबोलिजम) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रकृति में पानी चार समस्थानिकों के रूप में मौजूद है। यह माना जाता है कि हमारे जीआई ट्रैक में किसी भी प्रकार का खराब या असामान्य जल-अवशोषण विभिन्न गैस्ट्रिक विकारों या अल्सर, गैस्ट्रेटिस, एरोशन तथा सूजन जैसी असामान्यताओं से जुड़ा हो सकता है। लेकिन अभी तक इसकी पुष्टि करने के लिए कोई स्पष्ट प्रायोगिक साक्ष्य नहीं मिला है।
इस टीम के प्रयोगों ने व्यक्ति के पानी के सेवन की आदत के संदर्भ में मानव शरीर में अनोखे समस्थानिक-विशिष्ट जल- उपापचय के प्रत्यक्ष प्रमाण दिखाए हैं। उन्होंने दिखाया है कि मानव श्वसन की प्रक्रिया के दौरान छोड़े गये जलवाष्प के अलग-अलग समस्थानिक विभिन्न गैस्ट्रिक विकारों से दृढ़ता के साथ जुड़े होते हैं।
डॉ. प्रधान, पीएचडी छात्रों मिथुन पाल एवं सुश्री सयोनी भट्टाचार्य, वैज्ञानिक डॉ. अभिजीत मैती के नेतृत्व वाले इस अनुसंधान समूह ने एएमआरआई अस्पताल, कोलकाता के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. सुजीत चौधरी के सहयोग से यह दिखाया कि जीआई ट्रैक्ट में असामान्य जल अवशोषण के समस्थानिक हस्ताक्षर विभिन्न विकारों की शुरुआत का पता लगा सकते हैं।इस टीम ने पहले ही विभिन्न गैस्ट्रिक विकारों तथा एच. पाइलोरी संक्रमण के निदान के लिए एक पेटेंट प्राप्त ‘पायरो-ब्रेथ’ उपकरण विकसित किया है, जिसके प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की प्रक्रिया चल रही है।

Naryana Health Ad
Horizontal Banner 3
Leave A Reply

Your email address will not be published.