Positive India:Rajesh Jain Rahi:
काव्य तालियों में कैद, कथा कैद थालियों में,
लालियों में कैद लाल, देश के न कीजिए।
झूठ की किताब पर, सत्य के हों दस्तखत,
पढ़ने को आप उसे, भूलके न लीजिये।
आन मिले वीरता को, शान नम्रता को मिले,
कपटी को मान आप, हो सके न दीजिये।
शून्य के बिना न बने, सैकड़ा दहाई कभी,
जीरो पे भी आप मेरे, भाई मत खीजिये।
लेखक:कवि राजेश जैन राही, रायपुर