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शिक्षक पर्व पहल के तहत “गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए प्राध्‍यापकों के विकास” पर वेबिनार

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Positive India:Delhi;17 September, 2020.

शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षक पर्व पहल के अंतर्गत “गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए प्राध्‍यापकों के विकास” पर 15 सितम्‍बर, 2020 को एक वेबिनार आयोजित किया। वेबिनार का आयोजन एनईपी को ध्‍यान में रखते हुए शिक्षकों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को दर्शाने, क्षमता विकास और प्राध्‍यापकों की कैरियर की प्रगति के विभिन्न पहलुओं को समझने के उद्देश्य से किया गया था। शिक्षा मंत्रालय शिक्षकों को सम्मानित करने और नई शिक्षा नीति 2020 को आगे बढ़ाने के लिए 8 सितम्‍बर से 25 सितम्‍बर 2020 तक शिक्षा पर्व मना रहा है।
उच्च शिक्षा के सत्र में यूनेस्को के एग्जीक्यूटिव बोर्ड में भारत के प्रतिनिधि प्रोफेसर जे.एस. राजपूत, एनआईईपीए के कुलपति प्रोफेसर एन.वी. वर्गीस, आईयूएसी के निदेशक प्रोफेसर ए.सी. पांडे, और दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.गीता भट्ट अतिथि वक्‍ता थे। यूजीसी की संयुक्त सचिव डॉ. अर्चना ठाकुर ने सत्र का संचालन किया।
प्रोफेसर जे.एस. राजपूत ने कहा कि भारत अब उन शिक्षकों का एक पूल बनाने के लिए दृढ़ है जिनमें न केवल डिग्री धारक; बल्कि ’ऐसे व्यक्ति’ शामिल होंगे जिनकी ‘शख्‍सियत’ होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षक तैयार करने के नए दृष्टिकोण में प्रत्येक शिक्षक से उम्‍मीद होगी कि वह जीवन और जीवन यापन के प्रति एक व्यापक दृष्टिकोण विकसित करे। उन्होंने कहा कि शिक्षक भारत, इसकी प्रकृति, संस्कृति, इतिहास और विरासत तथा वैश्विक दुनिया में इसकी उभरती भूमिका को समझने वाली आत्मविश्वास से भरी नई पीढ़ी, पेशेवरों को तैयार करेगी जो शिक्षा के उच्च लक्ष्य को शामिल कर, राष्ट्र, समाज और समुदाय द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी को समझें।
प्रो.एन.वी. वर्गीस ने इस बात पर जोर दिया कि उच्च शिक्षा में शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के बजाय उन्‍हें सहयोग करने की आवश्यकता है। उच्च शिक्षा को अध्‍यापन कला में अधिक शोध की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पीएमएमएमएनएमटीटी शिक्षा मंत्रालय द्वारा एक अच्छी पहल है। उन्होंने छात्रों को जोड़ने के लिए सुरक्षा और संधोधित उपायों के साथ शैक्षणिक स्वतंत्रता और स्वायत्तता पर भी जोर दिया। प्रोफेसर पांडे ने जोर देकर कहा कि विज्ञान और समाज के मिलकर काम करने की भूमिका और शिक्षा किस प्रकार निरंतर विकास लक्ष्‍यों को प्रभावित करेगी। कोविड युग में ईंट-गारे की कक्षाओं का स्‍थान अध्‍यापन की मिश्रित विधा ने ले लिया है। उन्होंने कहा कि कक्षा को समय की प्रगति के साथ बेहतर बनाने के लिए शिक्षा के सभी स्तरों में प्रौद्योगिकी को उचित तरीके से जोड़ा जाना चाहिए।
डॉ. गीता भट्ट ने कहा कि एनईपी-2020 में सही शिक्षण सामग्री के साथ शिक्षकों / प्राध्‍यापकों की स्‍वच्‍छंता, पदोन्नति के मामले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण, पुरस्कार आदि का ध्‍यान रखा गया है। अध्‍यापकों को उत्‍प्रेरक की तरह होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें वैश्विक चुनौतियों के लिए प्रतिस्पर्धी, अति सक्रिय होना होगा। डॉ. अर्चना ठाकुर ने संकाय विकास कार्यक्रमों के कार्यान्‍वयन में पीएमएमएमएनएमटीटी, शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी-एचआरडीसी और उच्च शिक्षा में दूरगामी बदलावों के लिए एनईपी 2020 की भूमिका की सराहना की।

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