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शर्मनाक: एचआईवी संक्रमित बच्चियों को अपने घर से निकालने पर अमादा बिलासपुर का सरकारी अमला

रिश्वतखोर अधिकारी अनुदान पर 30% की रिश्वत पर अड़े।

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Injustice with HIV Patients by corrupt officer.

Positive India:Bilaspur: एनडीटीवी में आई न्यूज़ के मुताबिक एचआईवी संक्रमित बच्चियों को “अपना घर” से निकालने पर अमादा है छत्तीसगढ़ के बिलासपुर का सरकारी अमला। एनडीटीवी के रवीश कुमार इस मामले को प्रमुखता से उठा चुके हैं। परंतु अफसोस बिलासपुर एडमिनिस्ट्रेशन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी हैं । रिश्वतखोर अफसर खुलेआम घूम रहा है।

मामला बिलासपुर(छ.ग) के ‘अपना घर’ संस्था का है, जहां विभिन्न जिलों की 14 HIV संक्रमित बच्चियां रहती हैं। संस्था के लोगों ने अनुदान के बदले रिश्वत देने से मना किया तो सालभर से अधिकारी संस्था के पीछे पड़ गए हैं। बच्चियों को लेकर उनके मन में जरा भी संवेदना नहीं है, वे किसी भी तरह संस्था को एचआईवी संक्रमित बच्चियों से खाली करा देना चाहते हैं। जबकि बच्चियां वहां से जाना ही नहीं चाहतीं।

HIV संक्रमित बच्चियों के साथ बाहर बहुत बुरा बर्ताव होता है। ऐसा बच्चियों का ही कहना है। संस्था में रह रही ज्यादातर बच्चियों के माता-पिता नहीं हैं, ऐसे में इन बच्चियों को किसी परिजन के हवाले कर दिया जाएगा। उसके बाद उन्हें क्या दिक्कत आएगी, इससे किसी को कोई लेना-देना नहीं। बच्चियां जियें या मरें। HIV संक्रमित बच्चियों को बहुत देखभाल की जरूरत पड़ती है। लेकिन सारी चीजों से अधिकारियों को कोई मतलब ही नहीं है।

बच्चियां परिजनों के पास जाना नहीं चाहतीं, पर भ्रष्टाचारी अधिकारी उन्हें किसी भी हालत में भेजकर संस्था को खाली कराना चाहते हैं, ताकि रिश्वत की मनाही से उनके ईगो को जो धक्का लगा है, वह सैटिस्फाइड हो सके। बस।

मामला हाईकोर्ट भी पहुंचा था। हाईकोर्ट ने कलेक्टर को मामला सुलझाने के लिए कहा है, लेकिन कलेक्टर साहब नेताओं की चाकरी बजाने में इतने व्यस्त हैं कि उनके पास HIV पीड़ित बच्चियों की मदद के लिए समय नहीं है। वे न किसी का फोन उठा रहे हैं, न किसी मैसेजेस का जवाब दे रहे।

अभी सुनने में आया है कि रिश्वत मांगने वाले कार्यक्रम अधिकारी सुरेश सिंह कुछ अन्य अधिकारियों और पुलिस के साथ आज संस्था पहुंचे थे। उन्होंने पीड़ित बच्चियों के मामले को देख रहीं अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला, संस्था की अधीक्षिका और स्टॉफ के साथ संस्था खाली करने को लेकर जमकर मारपीट की है। संस्था में टूटी चूड़ियाँ और खून के छीटे इसकी गवाही दे रहे हैं। अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया गया है।

गजब का सिस्टम है। गजब की सरकार और गजब के अधिकारी। पीड़ित पक्ष को ही दोषी साबित करने में जुटे हुए हैं। पीड़ितों की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। अधिकारी से लेकर मंत्री और मुख्यमंत्री तक कोई बच्चियों के साथ खड़ा नज़र नहीं आ रहा है। हर कोई उस ईश्वतखोर अधिकारी के साथ खड़े हैं, जो किसी नेता का रिश्तेदार है। एक के साथ रिश्तेदारी निभाने के चक्कर में ऊपर से नीचे तक सारे लोगों की संवेदनाएं मर चुकी हैं।

एचआईवी संक्रमित बच्चियों ने हर किसी से रहम की गुहार लगाई है, लेकिन किसी ने कोई मदद नहीं की। हर किसी उस रिश्वतखोर अधिकारी की बातें ही सुन और मान रहे हैं। कलेक्टर, विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री किसी को उन बच्चियों पर तरह नहीं आ रहा है। उन्हें तो पता भी नहीं वे किसके गुनाहों की सजा भुगत रहीं है, पर इस सरकारी रवैये से उन्हें जो दर्द हो रहा है, उसे वे कैसे भूल पाएंगी।

संवेदनशील सरकार का ढिंढोरा पीटने वाली छत्तीसगढ़ सरकार और संवेदनशील माननीय मुख्यमंत्री को इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए। यह बात केवल इन 14
एचआईवी संक्रमित पीड़ित बच्चियों की नहीं है, उस सिस्टम की भी है, जहां अच्छे से चल रही संस्था को केवल रिश्वत न देने के कारण कुछ अधिकारी खत्म करने पर लगे हुए हैं। ऐसे में उन संस्थाओं का मनोबल टूटेगा जो सचमुच में समाज की बेहतरी के लिए काम कर रही हैं। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सच के साथ खड़ी हो और गलती करने वालों पर कार्रवाई करे। नहीं धीरे-धीरे जनता का भरोसा सरकार से उठने लगेगा।।
साभार: प्रफुल्ल ठाकुर के फेसबुक वाल से।

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