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एससीओ शिखर सम्मेलन: जयशंकर ने अपने रूसी समकक्ष, ईरान के राष्ट्रपति के साथ अनौपचारिक बैठक की

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पॉजिटिव इंडिया:दुशान्बे;
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यहां पर अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव और ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के साथ शुक्रवार को अलग-अलग अनौपचारिक बैठक की। लावरोव के साथ उन्होंने अफगानिस्तान समेत अन्य समसामयिक मुद्दों पर ‘उपयोगी चर्चा’ की, वहीं रईसी के साथ बैठक में वैश्विक मामलों पर अपने दृष्टिकोण साझा किए।
जयशंकर ने ताजिकिस्तान की राजधानी दुशान्बे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन से इतर दोनों नेताओं के साथ मुलाकात की।
अनौपचारिक बैठक के बाद जयशंकर ने ट्वीट किया ,रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात करके हमेशा ही प्रसन्नता होती है। एससीओ शिखर सम्मेलन आरंभ होने से पहले उनके साथ अफगानिस्तान समेत समसामयिक मुद्दों पर उपयोगी चर्चा हुई।
इससे पहले जयशंकर और लावरोव की जुलाई में मास्को में मुलाकात हुई थी। दोनों नेताओं ने जुलाई में एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में अपने देश का प्रतिनिधित्व किया था।जयशंकर ने ईरान के राष्ट्रपति रईसी के साथ शिष्टाचार भेंट की और दृष्टिकोण भी साझा किया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘एससीओ शिखर सम्मेलन की शुरुआत से पहले राष्ट्रपति रईसी के साथ शिष्टाचार भेंट की और अपने विचारों का आदान-प्रदान किया।’’
इससे पहले जयशंकर ने रईसी से जुलाई और अगस्त में मुलाकात की थी। वह रईसी के शपथ ग्रहण समारोह में भारत के प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुए थे।
एससीओ के वार्षिक शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान के घटनाक्रम और क्षेत्रीय सुरक्षा संबंधी संपूर्ण परिदृश्य के बारे में गहनता से विचार-विमर्श होने की उम्मीद है।
जयशंकर एससीओ के राष्ट्र प्रमुखों तथा सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन के साथ अफगानिस्तान पर बैठक में शामिल होंगे। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ताजिकिस्तान के नेतृत्व द्वारा एससीओ परिषद के राष्ट्र प्रमुखों की 21वीं बैठक में गर्मजोशी भरा स्वागत। दुशान्बे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रतिनिधित्व करने का सम्मान प्राप्त हुआ, प्रधानमंत्री ने शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र को वीडियो लिंक के जरिए संबोधित किया।’’
एससीओ आठ सदस्यीय आर्थिक और सुरक्षा संगठन है और सबसे बड़े अंतरक्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठनों में से एक के रूप में उभरा है। वर्ष 2017 में भारत और पाकिस्तान इसके स्थायी सदस्य बने। भारत ने एससीओ और विशेष रूप से सुरक्षा और रक्षा से संबंधित मुद्दों को देखने वाले इसके क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी ढांचे (आरएटीएस) के साथ अपने सुरक्षा संबंधी सहयोग को प्रगाढ़ करने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है।
भारत को 2005 में एससीओ में पर्यवेक्षक बनाया गया था और वह आम तौर पर समूह की मंत्री स्तरीय बैठकों में भाग लेता रहा है जो मुख्य रूप से यूरेशिया क्षेत्र में सुरक्षा और आर्थिक सहयोग पर केंद्रित रही हैं।

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